रामगोपाल हत्याकांड का फैसला अभियोजन और पुलिस पैरवी के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लेकिन एक दोषी को फांसी और नौ को आजीवन कारावास की सजा दिलाने में सबसे अहम भूमिका उन 12 प्रत्यक्षदर्शी गवाहों की रही, जिन्होंने अदालत के समक्ष घटना स्थल का आंखों देखा हाल बयां किया। गवाहों के इसी सशक्त पक्ष ने मामले को मजबूती प्रदान की।
चर्चित हत्याकांड पर प्रदेश सरकार भी लगातार नजर बनाए हुए थी। इसी का परिणाम रहा कि सभी नामजद आरोपी शीघ्र ही गिरफ्तार कर जेल भेजे गए। पुलिस से ताबड़तोड़ मुठभेड़ भी हुई। विवेचना अधिकारी ने तेजी दिखाते हुए साक्ष्यों और गवाहों के बयान एकत्र कर 11 जनवरी 2025 को आरोपपत्र अदालत में प्रस्तुत कर दिया।
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महराजगंज हिंसा के मामले में गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई के बाद जेल भेजे गए आरोपियों को ले जाती पुलिस
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अदालत ने 18 फरवरी 2025 को आरोप निर्धारित किए। अभियोजन पक्ष की ओर से चार मार्च 2025 से गवाहों के बयान शुरू कराए गए। करीब आठ महीनों की सुनवाई के दौरान कुल 12 गवाहों ने घटना के संबंध में अदालत में बयान दर्ज कराए।
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राम गोपाल मिश्रा के भाई हरमिलन मिश्रा
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आठ गवाहों के बयान भी साबित हुए निर्णायक
इनमें मृतक रामगोपाल के बड़े भाई हरमिलन, अभिषेक मिश्रा, शशि भूषण और राजन के बयान बेहद अहम माने गए। अन्य आठ गवाहों के बयान भी आरोपियों को दोषसिद्ध कराने में निर्णायक साबित हुए।
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मृतक राम गोपाल मिश्रा की पत्नी रोली मिश्रा
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अदालत में पूरी घटना का वर्णन
सभी गवाह घटना वाले दिन मौके पर मौजूद थे और उन्होंने अदालत में पूरी घटना का वर्णन किया। मजबूत गवाही का परिणाम रहा कि 13 माह 26 दिनों तक की सुनवाई के बाद अदालत ने मुख्य आरोपी को फांसी और नौ को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
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13 अक्तूबर 2024 को महराजगंज में प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के दौरान हुई आगजनी। (फाइल फोटो)
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जानिए 13 अक्तूबर 2024 को महराजगंज में कब क्या हुआ था
बहराइच जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर स्थित महराजगंज बाजार में शाम करीब 6 बजे दुर्गा प्रतिमा विसर्जन का जुलूस निकाला जा रहा था। इसी दौरान दूसरे पक्ष ने डीजे बंद करने के लिए कहा। यहीं से विवाद शुरू हुआ।