Muzaffarnagar। उत्तर प्रदेश सरकार के श्रम विभाग के दिशा-निर्देशों के तहत मुजफ्फरनगर जिले में बाल श्रम मुक्त अभियान जोर-शोर से चलाया जा रहा है। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा के आदेशानुसार सहायक श्रम आयुक्त देवश सिंह के निर्देशन में यह अभियान विशेष टीमों द्वारा संचालित किया गया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके मूल अधिकारों—विशेषकर शिक्षा—से वंचित होने से बचाना है और किसी भी प्रकार के बाल श्रम को रोकना है।
श्रम विभाग की सख्त कार्रवाई और निरीक्षण
इस अभियान के दौरान श्रम प्रवर्तन अधिकारी सुश्री शालू राणा, थाना ए एच टी प्रभारी सर्वेश कुमार, और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की संयुक्त टीम ने जिले के विभिन्न प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान आठ सेवायोजकों को बाल श्रम के प्रचलन के लिए नोटिस जारी किया गया और उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की गई।
सहायक श्रम आयुक्त देवश सिंह ने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रतिष्ठान पर 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार का कार्य करने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा, “बालक का सबसे महत्वपूर्ण अधिकार उसकी शिक्षा है। यदि किसी भी सेवायोजक को बालक से कार्य कराते हुए पाया जाता है, तो उसके खिलाफ बाल श्रम अधिनियम, 1986 के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।”
समाज और संस्थाओं का सहयोग
इस अभियान में संस्था एक्सेस टू जस्टिस जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रेन ने भी सक्रिय योगदान दिया। संस्था के प्रोजेक्ट लीडर गजेंद्र सिंह ने कहा कि उनका संगठन हमेशा बालहित के मुद्दों पर प्रशासन के साथ खड़ा है। उन्होंने बताया कि अभियान को सफल बनाने में थाना ए एच टी टीम के सब-इंस्पेक्टर जगत सिंह, सब-इंस्पेक्टर खुशवीर सिंह, हेड कांस्टेबल अमरजीत सिंह, और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पैरालीगल वालंटियर गौरव मालिक का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
बाल श्रम मुक्त अभियान के तहत किए गए कदम
-
प्रशासनिक निरीक्षण: बाल श्रम के मामलों की पहचान और सेवायोजकों पर नोटिस जारी करना।
-
कानूनी कार्यवाही: बाल श्रम अधिनियम 1986 के तहत सेवायोजकों के खिलाफ कार्रवाई।
-
शिक्षा पर जोर: सभी बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करना और काम से दूर रखना।
-
सामुदायिक जागरूकता: समाज और संस्थाओं के माध्यम से जागरूकता अभियान।
-
संयुक्त टीम संचालन: प्रशासन, पुलिस, और सामाजिक संगठन का तालमेल।
बाल श्रम की गंभीर समस्या और जागरूकता की जरूरत
बाल श्रम आज भी देश के कई हिस्सों में गंभीर समस्या है। विशेषकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर इलाकों में बच्चों को मजदूरी के लिए मजबूर किया जाता है। इस कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है। मुजफ्फरनगर जैसे जिलों में इस तरह के अभियान न केवल कानून का पालन सुनिश्चित करते हैं, बल्कि समाज में जागरूकता भी फैलाते हैं।
बालक का अधिकार: शिक्षा पहले, श्रम बाद में नहीं
सहायक श्रम आयुक्त देवश सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि बालकों का शिक्षा में अधिकार सर्वोपरि है। समाज और परिवार दोनों की जिम्मेदारी है कि बच्चे की पढ़ाई में किसी भी प्रकार का बाधा न आए। उन्होंने कहा कि बाल श्रम के खिलाफ सभी सेवायोजकों को सख्त चेतावनी दी जा रही है।
आगे की योजनाएं और समाज की भूमिका
मुजफ्फरनगर जिले में आगामी महीनों में और भी कई जागरूकता शिविर और निरीक्षण अभियान चलाए जाएंगे। इसका लक्ष्य है कि जिले को बाल श्रम मुक्त क्षेत्र बनाया जा सके। स्थानीय समाज, शिक्षण संस्थान, और गैर-सरकारी संगठन इस मुहिम में सक्रिय रूप से योगदान देंगे।
मुजफ्फरनगर में चलाया गया बाल श्रम मुक्त अभियान बच्चों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रशासन और समाज के सहयोग से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि हर बच्चा अपनी शिक्षा पूरी कर सके और किसी भी प्रकार के बाल श्रम से दूर रहे। इस अभियान से यह संदेश भी गया कि बालक का भविष्य उसकी पढ़ाई और विकास में है, ना कि मजदूरी में।
