अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। बिजली थाने में मुकदमों की भरमार होती जा रही है। पिछले चार साल के भीतर यहां 7657 मुकदमे दर्ज हो चुके लेकिन, इन मुकदमों के निपटारे के लिए यहां स्टॉफ ही नहीं है। इन हजारों मुकदमों की विवेचना सिर्फ दो दरोगाओं के भरोसे है। उनको न सिर्फ इनकी विवेचना करनी होती है बल्कि चेकिंग अभियान में शामिल होना पड़ता है। इस वजह से इन मुकदमों की विवेचना पिछड़ती जा रही है और थाने के भीतर मुकदमों का अंबार खड़ा होता जा रहा है। अभी तक सिर्फ 1200 मुकदमेे ही निपटाए जा सके हैंं।

बिजली चोरी पर लगाम कसने को वर्ष 2019 में बिजली चोरी निरोधक थाना स्थापित हुआ। उप्र पुलिस से इंस्पेक्टर, दरोगा और सिपाही इसमें भेजे गए। कटिया लगाकर बिजली चोरी, मीटर से पहले कट लगाकर बिजली चोरी, मीटर में गड़बडी करने, घरेलू कनेक्शन पर व्यावसायिक बिजली का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ इस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है। यहीं पर विद्युत नगरीय वितरण खंड प्रथम, वितरण खंड द्वितीय, ग्रामीण एवं मऊरानीपुर खंड के बिजली चोरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होती है। नियमों के मुताबिक मुकदमा दर्ज होने पर शमन शुल्क एवं राजस्व चुकाने के बाद मुकदमे में एफआर लगा दी जाती है जबकि सामने न आने वालों के खिलाफ चार्जशीट लगाई जाती है। पिछले चार साल के दौरान यहां कुल 7657 मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से इस साल जून माह तक 1900 मुकदमे दर्ज हुए। थाना प्रभारी के मुताबिक करीब 1200 मुकदमों का निस्तारण कराया जा चुका।

इनसेट

महज दो दरोगा ही तैनात

बिजली चोरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आईटीआई के पीछे बिजली चोरी निरोधक थाना स्थापित हुआ। प्रावधान के मुताबिक थाना प्रभारी समेत पांच उपनिरीक्षक होने चाहिए लेकिन, यहां निरीक्षक समेत सिर्फ दो दरोगा ही मौजूदा समय में हैं। इनके ऊपर ही सारे मुकदमों की विवेचनाएं होती हैं। जितने भी मुकदमे दर्ज होते हैं विवेचना के दौरान वहां जाकर नजरी नक्शा भी बनाना होता है। इसी तरह यहां 21 की जगह सिर्फ 10 हेड कांस्टेबल ही तैनात हैं।

पानी का भी कोई इंतजाम नहीं

बिजली थाने में रोजाना करीब 50-100 लोग आते जाते हैं। इनमें बिजली स्टॉफ समेत अपने मामलों की पूछताछ केे लिए आने वाले लोग भी शामिल रहते हैं लेकिन, पूरे परिसर में पीने के पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। यहां काम करने वाले स्टॉफ को भी पीने का पानी खुद खरीदकर पीना पड़ता है।



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