– आठ महीने पहले किया गया था निलंबन, वेतनवृद्धि भी रोकी गई
संवाद न्यूज एजेंसी
झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने में निलंबित छह कर्मचारियों को आठ महीने बाद बहाल कर दिया है। हालांकि, इन कर्मचारियों की अब प्रशासनिक भवन में तैनाती और गोपनीय कार्यों के दायित्व सौंपने पर रोक लगा दी गई है। कर्मचारियों की वेतनवृद्धि भी रोकी गई है।
सितंबर 2022 में बीयू में फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने का फर्जीवाड़ा सामने आया था। फिर बीयू प्रशासन ने मामले की जांच शुरू की थी और छह कर्मचारियों को निलंबित कर दिया। अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई। जांच कमेटी की आख्या के बाद वरिष्ठ सहायक महेश चंद्र को गोपनीय रिकॉर्ड की चाबी होने के कारण रिकॉर्ड रूम के चार्ट बाहर जाने का दोषी माना गया है। इसलिए उसकी दो वेतनवृद्धि स्थायी रूप से रोकते हुए बहाल कर दिया गया है। अनुचर राम सिंह को छात्र नितिन मित्तल को उपाधि प्राप्त कराने के साक्ष्य उपलब्ध होने के बावजूद छात्र को न जानने के कारण संदिग्ध पाया गया है। उनको वृद्धि से पूर्व के वेतनमान पर बहाल कर दिया गया है।
प्रधान सहायक राघवेंद्र सिंह यादव को प्रभारी होने के कारण लापरवाही और कार्य में शिथिलता का दोषी माना गया है। राघवेंद्र की एक वेतनवृद्धि अस्थायी रूप से रोकते हुए बहाल कर दिया है। नैत्यिक सहायक जितेंद्र सिंह को कार्य में लापरवाही करने का दोषी माना है। वृद्धि से पूर्व के वेतनमान के साथ बहाल किया है। नैत्यिक सहायक मुकेश कर्दम को रिकॉर्ड रूम की चाबी संरक्षण और चार्ट संरक्षण का कार्य होने के कारण चार्ट बाहर जाने का दोषी माना गया है। कर्मी की वृद्धि से पहले के मानदेय के साथ बहाल किया गया है। नैत्यिक सहायक राजेंद्र सिंह को जांच आख्या में कार्य में लापरवाही का दोषी माना है। कर्मचारी की वृद्धि से पूर्व मानदेय पर बहाल किया है।
अमर उजाला ने किया था खुलासा
फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने के प्रकरण का सितंबर 2022 में अमर उजाला ने खुलासा किया था। इसको लेकर सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित कीं। मामला राजभवन तक पहुंचा। इसके बाद बीयू ने जांच समिति गठित कर जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा। महज तीन सप्ताह की जांच के बाद छह कर्मचारी दोषी पाए गए और उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
फर्जी मार्कशीट बनाने के प्रकरण में जांच समिति की रिपोर्ट के बाद सभी छह कर्मचारियों को बहाल किया गया है। हालांकि, इनकी कभी भी प्रशासनिक भवन में तैनात नहीं होगी। न ही कोई गोपनीय काम लिया जाएगा। वेतनवृद्धि भी रोकी गई है। – विनय कुमार सिंह, कुलसचिव, बीयू।