परीक्षा समिति में नहीं ले जाया गया मामला, संदेह के घेरे में स्टाफ, होगी जांच

अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में डिग्री बनाने का एक ऐसा प्रकरण सामने आया है, जिसमें नियमों को दरकिनार किया गया। 20 साल बाद अधूरे चार्ट में अंक चढ़ाकर एक छात्रा की बीयू में बीए की डिग्री बना दी गई। दो दशक से ज्यादा पुराना मामला होने के बावजूद इसे परीक्षा समिति में नहीं ले जाया गया। अब बीयू स्टाफ संदेह के घेरे में आ गए।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की डिग्री बनवाने के लिए वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना पड़ता है। अगर दो साल से ज्यादा पुरानी डिग्री होती है तो विद्यार्थी को 500 रुपये शुल्क भी जमा करना पड़ता है। अगर कोई विवादित मामला होता है तो इसे परीक्षा समिति में ले जाया जाता है। परीक्षा समिति के निर्णय के बाद ही डिग्री बनती है। मगर हाल ही में एक छात्रा की डिग्री बनाने में नियमों को दरकिनार कर दिया गया। बताया गया कि उरई के एक महाविद्यालय से 2002 में पासआउट बीए की छात्रा के प्रथम वर्ष में गृह विज्ञान विषय में चार्ट में अंक नहीं थे। द्वितीय वर्ष में अंक सूची और चार्ट में बैक पेपर अंकित था। अंतिम वर्ष की अंकतालिका में पिता के नाम में सरनेम है। जबकि, प्रथम, द्वितीय वर्ष में नहीं है। जानकारों के मुताबिक ये मामला परीक्षा समिति में जाना चाहिए था। मगर बिना कमेटी के सामने ये प्रकरण रखे छात्रा की डिग्री बना दी गई। जबकि, चार्ट में किसी भी तरह का बदलाव करने के लिए परीक्षा समिति की मंजूरी जरूरी होती है। ऐसे में मामला संदेह के घेरे में आ गया है।

मार्च में चढ़ाए गए हैं चार्ट में अंक

इस प्रकरण में अधूरे चार्ट में मार्च 2023 में अंक चढ़ाए गए हैं। जबकि, डिग्र्री सितंबर में बनी। ऐसे में चार्ट में नंबर चढ़ाने से लेकर डिग्री बनने में पांच महीने का समय लग गया। इसलिए सवाल उठता है कि छात्रा को डिग्री की जरूरत थी तो उसे बनाने में इतना समय क्यों लग गया। ऐसा लगता है कि सारे काम को धीरे-धीरे अंजाम दिया गया। ताकि, किसी को भनक न लगे।

इस मामले की जांच कराई जाएगी। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। – विनय कुमार सिंह, कुलसचिव, बीयू।



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