मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar): भारत में वित्तीय समावेशन को लेकर अनेकों मुद्दे और चुनौतियाँ सामने आ रही हैं, जिन्हें सुलझाना अत्यंत आवश्यक हो गया है। इन समस्याओं से निपटने के लिए भारत में शिक्षा के क्षेत्र में भी कुछ बड़े कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि लोगों को वित्तीय जागरूकता प्रदान की जा सके। इसी सिलसिले में, श्री राम कॉलेज, मुजफ्फरनगर में एक शानदार सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य भारत में वित्तीय समावेशन के मुद्दों और चुनौतियों पर विचार विमर्श करना था।

भारत में वित्तीय समावेशन: वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ

भारत में वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया को गति देने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्रों द्वारा विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन अभी भी इस दिशा में कई गंभीर चुनौतियाँ सामने आ रही हैं। इनमें मुख्य रूप से वित्तीय साक्षरता की कमी, डिजीटल डिवाइड (digital divide), अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा, लैंगिक असमानताएँ, और उच्च लागत वाली सेवाएँ शामिल हैं। भारत में जहाँ कुछ वर्गों को बैंकिंग सेवाओं और वित्तीय योजनाओं का आसानी से लाभ मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर कई ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अभी भी इन सेवाओं से वंचित हैं।

इस सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में सेबी पैनलबद्ध विशेषज्ञ और राष्ट्रीय वित्तीय शिक्षा केन्द्र के प्रशिक्षक श्री दीपक गर्ग ने इन सभी चुनौतियों पर गहन चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत में अब भी वित्तीय साक्षरता का स्तर बहुत कम है, जिसके कारण आम आदमी को अपने पैसे की सही प्रबंधन की जानकारी नहीं होती। इसके परिणामस्वरूप लोग अधिकतर पोंजी स्कीमों और धोखाधड़ी योजनाओं का शिकार हो जाते हैं।

वित्तीय शिक्षा का महत्व और समाधान

दीपक गर्ग ने सेमिनार के दौरान बताया कि वित्तीय साक्षरता में सुधार लाने के लिए शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि बजटिंग, निवेश के उपाय, और शेयर बाजार में ट्रेडिंग जैसे विषयों पर भी छात्रों को प्रशिक्षित किया जा सकता है। उनके अनुसार, यदि लोगों को वित्तीय जागरूकता और शिक्षा दी जाए तो वे अपनी आय और खर्चों में सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं और साथ ही सही निवेश के उपायों के बारे में भी जान सकते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल डिवाइड और साइबर क्राइम जैसे मुद्दों पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। आजकल ऑनलाइन ठगी और पोंजी स्कीमों के मामले बहुत बढ़ गए हैं, जिससे आम जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है। इससे निपटने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि आम आदमी को धोखाधड़ी से बचाया जा सके।

सेमिनार के विभिन्न चरण: छात्रों और विशेषज्ञों के विचार

इस सेमिनार के दो मुख्य चरण थे। पहले चरण में श्री दीपक गर्ग ने छात्रों को वित्तीय योजना बनाने के उपायों और शेयर बाजार में निवेश के बारे में जानकारी दी। उन्होंने छात्रों से यह भी कहा कि वे अपनी शिक्षा के साथ-साथ वित्तीय योजनाओं को भी गंभीरता से लें, ताकि भविष्य में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।

सेमिनार के दूसरे चरण में, श्री दीपक गर्ग ने डिजिटल सुरक्षा, साइबर क्राइम और पोंजी स्कीमों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने छात्रों को इस बात से भी अवगत कराया कि कैसे साइबर ठग विभिन्न तरीकों से लोगों को अपने जाल में फँसा लेते हैं और उनका पैसा हड़पते हैं। इसके बाद, सेमिनार के आयोजकों ने विभिन्न विशेषज्ञों और छात्रों को मंच पर बुलाया, ताकि वे अपनी राय और विचार साझा कर सकें।

मुख्य अतिथियों और वक्ताओं के विचार

इस अवसर पर, श्री राम ग्रुप ऑफ कॉलेजेज के चेयरमेन डॉ. एस. सी. कुलश्रेष्ठ ने सेमिनार के आयोजकों और मुख्य वक्ता श्री दीपक गर्ग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए, ताकि छात्रों में वित्तीय जागरूकता को बढ़ाया जा सके।

श्री राम कॉलेज की प्राचार्या डॉ. प्रेरणा मित्तल ने कहा कि इस सेमिनार का उद्देश्य न केवल वित्तीय समावेशन के मुद्दों पर विचार करना है, बल्कि छात्रों और प्रतिभागियों को वित्तीय शिक्षा देने के साथ-साथ साइबर अपराध के प्रति जागरूक करना भी है। उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय जागरूकता से छात्रों को अपनी आर्थिक स्थिति को समझने और सुधारने का अवसर मिलेगा।

कॉलेज के प्रबंधन ब्लॉक के डीन डॉ. सौरभ मित्तल ने छात्रों से अपील की कि वे इस तरह के सेमिनारों में भाग लें, ताकि उनका बहुमुखी विकास हो और वे सिर्फ अपनी शिक्षा ही नहीं, बल्कि अपने आर्थिक मामलों में भी कुशल बन सकें।

आभार और समापन

कार्यक्रम के समापन के दौरान, विभागाध्यक्ष डॉ. विवेक कुमार त्यागी ने सभी प्रतिभागियों, वक्ताओं और मुख्य अतिथि का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सेमिनारों से छात्रों का समग्र विकास होता है और उन्हें जीवन में सही दिशा मिलती है। डॉ. विवेक कुमार ने सभी को भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम का सफल संचालन व्यवसाय और प्रबंधन विभाग के सहायक प्रवक्ता डॉ. अतुल कुमार ने किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में हिमांशु वर्मा, शिवानी शर्मा, सागर शुक्ला, जतिन सिंघल, पूनम शर्मा, कपिल देशवाल, ममता मित्तल, जेबा ताहिर, अंकुश रावल, मोनिका, तनु त्यागी, स्वाति तायल, निशी ठाकुर और निशू वर्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

वित्तीय समावेशन पर आगे की पहल

भारत में वित्तीय समावेशन के लिए कई योजनाओं को लागू किया गया है, लेकिन इन योजनाओं को सफल बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों को शामिल किया जाना आवश्यक है। वित्तीय साक्षरता, डिजीटल शिक्षा और साइबर सुरक्षा के उपायों को बढ़ावा देना ही इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इसके साथ ही, सरकार और वित्तीय संस्थाओं को मिलकर नई नीतियाँ तैयार करने की आवश्यकता है, ताकि आम आदमी तक सही वित्तीय सेवाओं का लाभ पहुँच सके।



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