
मधुमिता मर्डर केस।
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2003 में हुआ मधुमिता हत्याकांड पूरे प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करने वाली घटना थी। पहले तो यह एक सामान्य हत्या लगी लेकिन जब इसमें सीबीआई शामिल हुई तो एक के बाद एक कड़ियां जुड़ती गईं। चूंकि आरोपी रसूखदार थे इसलिए उन्होंने शुरुआत में इस हत्या पर पर्दा डालने की पूरी कोशिश की। लखनऊ में निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हुई थी। हत्या के पहले मधुमिता को सिर्फ एक उभरती हुई कवियत्री के रुप में जाना जाता था। बाद में पूरी कहानी सबने जानी। यह मामला इतना हाई प्रोफाइल हुआ कि इस पर वेब सीरीज तक बनी।
वीर रस की कविताएं पढ़ती थीं मधुमिता
मधुमिता शुक्ला उन दिनों वीर रस की ओजपूर्ण कवियत्री हुआ करती थी। लखीमपुर खीरी की रहने वाली मधुमिता 16-17 साल की उम्र में ही चर्चित हो गई थी। अपने तेजतर्रार अंदाज से मशहूर हुई मधुमिता शुक्ला हिंदी कवि सम्मेलनों की शान बन गई। ऐसा माना जाता है कि शोहरत बढ़ने के साथ ही मधुमिता के अंदर और बड़ा होने की महात्वाकांक्षाएं पनपने लगी थीं।
इन्हीं दिनों में अमरमणि त्रिपाठी उनकी जिंदगी में दाखिल होते हैं। वह शादीशुदा होते हैं। दोनों में नजदीकियां बढ़ती है और मामला मोहब्बत का हो जाता है। इस बीच मधुमिता का कद इतना बढ़ गया था कि बड़े-बड़े कवि सम्मेलनों में उसकी मर्जी चलने लगती है। सबकुछ सही चल रहा था पर एक दिन अचानक उसकी हत्या हो जाती है। हत्या क्यों हुई इसकी कड़िया बाद में खुलती हैं।
गोली की आवाज आई और फिर…
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, पेपरमिल कॉलोनी में मधुमिता अकेली रहती थी। साथ में उनका नौकर देशराज भी रहता था। घटना वाले दिन शूटर संतोष राय और प्रकाश पांडे मधुमिता के घर सुबह के वक्त पहुंचते है। मधुमिता उन दोनों के साथ कमरे में बैठकर बातचीत कर रही होती है जबकि देशराज किचन में चाय बना रहा होता है। इसी दौरान गोली चलने की आवाज आती है। देशराज दौड़कर जब कमरे में पहुंचता है तो बिस्तर पर लहूलुहान हालत में मधुमिता पड़ी मिली। संतोष राय और प्रकाश पांडे वहां से रफूचक्कर हो जाते हैं। नौकर देशराज के बयान को अहम मानते हुए सीबीआई ने जब जांच आगे बढ़ाई तो अमरमणि तक कडि़यां जुड़ती चली गईं।
सात महीने की गर्भवती थी
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मधुमिता के प्रेग्नेंट होने का पता लगा था। उसके अंदर 7 महीने का बच्चा पल रहा था। डीएनए जांच में पता चला कि मधुमिता के पेट में पल रहा बच्चा उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी का है। हत्या की वजह यही बच्चा बना। पहले यह जांच पुलिस ने की। बाद में जब सीबीआई ने कड़ी से कड़ी जोड़ीं तो पता चला कि अमरमणि इसी बच्चे के गर्भपात की बात बार-बार मधुमिता से कह रहे थे और मधुमिता बच्चे को जन्म देना चाह रही थीं। बाद में मिली डायरी में भी इस बात का जिक्र है कि अमरमणि मधुमिता से बच्चे को गिराने का दबाव बना रहे थे।
सीबीआई को सौंपी गई जांच
इस मामले की जांच पहले सीबीसीआईडी ने की। बाद में मामला हाई प्रोफाइल होने पर इसे सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने अपनी जांच पूरी की और जब चार्जशीट दाखिल किया तो उसमें अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी समेत दो शूटरों संतोष राय और प्रकाश पांडेय को आरोपी बनाया। देहरादून फास्टट्रैक ने तेजी से इस मामले को निपटाया और प्रकाश पांडे को छोड़कर सभी लोगों को दोषी करार दिया। सबको उम्रकैद की सजा सुनाई गई जबकि प्रकाश पांडे को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। बाद में मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने 2007 में निचली अदालत के फैसले को बरकरार तो रखा ही, प्रकाश पांडे को भी उम्रकैद की सजा सुनाई।
हत्याकांड पर डिस्कवरी ने बनाई वेबसीरीज
बहुचर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड को लेकर एक वेब सीरीज भी बनी। दरअसल, डिस्कवरी प्लस चैनल ने चर्चित हत्याकांड पर ‘लव किल्स: मधुमिता शुक्ला हत्याकांड’ सीरीज बनाई थी। यह डॉक्यूमेंट्री सीरीज इसी साल नौ फरवरी से ओटीटी प्लेटफॉर्म डिस्कवरी+ पर स्ट्रीम की गई थी।
इसमें हत्या, धोखा, झूठ और राजनीतिक साजिश जैसी हर चीज इस सीरीज में दिखाई गई, जिसने इस सनसनीखेज अपराध को अंजाम तक पंहुचाया। मामले की मुख्य वादी मधुमिता की बहन निधि शुक्ला हैं। निधि 20 साल से लगातार न्याय के लिए संघर्ष कर रही हैं। इन संघर्षो को भी डिस्कवरी प्लस ने अपनी वेब सीरीज में दिखाया है।
