तितावी/मुजफ्फरनगर: Muzaffarnagar के तितावी थाना क्षेत्र के बघरा स्थित योग साधना यशवीर आश्रम के महंत स्वामी यशवीर जी महाराज ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो न केवल धार्मिक जगत में बल्कि राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय बन गया है। स्वामी यशवीर ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित एक पत्र में मुस्लिम बहुल इलाकों में बंद पड़े हिंदू मंदिरों को पुनर्जीवित करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने इन मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए पुजारियों की नियुक्ति और उनका वेतन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए जाने का आग्रह किया है।
54 वर्षों से बंद पड़े शिव मंदिर को किया जागृत
स्वामी यशवीर ने हाल ही में मुजफ्फरनगर के लद्धावाला इलाके में स्थित 54 वर्षों से बंद पड़े शिव मंदिर को जागृत कर इसे धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बना दिया। इस कार्य में उन्हें कई हिंदू संगठनों का सहयोग मिला। यह मंदिर मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थित है और लंबे समय से बंद पड़ा था। इस मंदिर में अब नियमित पूजा-अर्चना हो रही है, और हिंदू समुदाय ने इसे एक बार फिर से अपनी धार्मिक गतिविधियों के लिए प्राप्त कर लिया है।
स्वामी यशवीर ने बताया, “हमने यह कदम केवल लद्धावाला मंदिर के लिए नहीं, बल्कि पूरे जनपद के उन मंदिरों के लिए उठाया है जो मुस्लिम आबादी के बीच बंद पड़े हैं या उपेक्षित हैं। रामपुरम, मिमलाना रोड और अन्य क्षेत्रों के मंदिरों की भी यही स्थिति है। हम चाहते हैं कि प्रदेश सरकार इन मंदिरों को पुनर्जीवित करने के लिए ठोस कदम उठाए।”
मुस्लिम बहुल इलाकों में बंद पड़े मंदिरों की सूची
महंत ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि मुजफ्फरनगर जैसे जनपदों में कई मंदिर मुस्लिम बस्तियों के बीच स्थित हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश या तो उपेक्षा का शिकार हैं या फिर उनमें मूर्तियां नहीं हैं। कुछ प्रमुख मंदिरों की सूची इस प्रकार है:
- लद्धावाला शिव मंदिर: 54 वर्षों से बंद पड़ा यह मंदिर अब जागृत हो चुका है।
- रामपुरम मंदिर: यह मंदिर उपेक्षित है और इसमें धार्मिक गतिविधियां नहीं होती।
- मिमलाना रोड का मंदिर: लंबे समय से इसमें कोई पूजा-अर्चना नहीं हुई है।
- अन्य मंदिर: मुस्लिम बहुल इलाकों में कई मंदिर ऐसे हैं, जो प्रशासनिक अनदेखी का शिकार हैं।
मुख्यमंत्री योगी से विशेष अनुरोध
स्वामी यशवीर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अनुरोध किया है कि:
- मंदिरों की सुरक्षा: मुस्लिम बहुल इलाकों में स्थित मंदिरों को विशेष सुरक्षा दी जाए ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
- पुजारियों की नियुक्ति: इन मंदिरों में नियमित पूजा-अर्चना के लिए पुजारियों की नियुक्ति की जाए।
- वेतन व्यवस्था: पुजारियों का वेतन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जाए।
- मूर्तियों की स्थापना: जिन मंदिरों में मूर्तियां नहीं हैं, वहां नए सिरे से मूर्तियों की स्थापना कर धार्मिक गतिविधियां शुरू की जाएं।
धार्मिक सौहार्द पर जोर
स्वामी यशवीर ने अपने प्रयास को धार्मिक सौहार्द और सह-अस्तित्व का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है। हम केवल चाहते हैं कि हिंदू मंदिरों को उनकी पहचान वापस मिले और हिंदू समुदाय को अपनी आस्था व्यक्त करने का अधिकार मिले।”
हिंदू संगठनों का समर्थन
इस पहल को विभिन्न हिंदू संगठनों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। स्थानीय संगठनों ने भी मंदिरों की पुनर्स्थापना और सुरक्षा के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया भी देखने को मिल रही है। कुछ संगठन इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास बता रहे हैं, तो वहीं कई इसे हिंदू आस्था की पुनर्स्थापना की दिशा में एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
मुख्यमंत्री कार्यालय से अब तक इस पत्र पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, यह मुद्दा प्रदेश की राजनीति में गर्माता जा रहा है। स्थानीय प्रशासन से भी स्वामी यशवीर ने मांग की है कि वे इन मंदिरों की सुरक्षा और देखरेख सुनिश्चित करें।
स्वामी यशवीर का संदेश
स्वामी यशवीर ने अपने संदेश में कहा, “यह केवल मंदिरों का मुद्दा नहीं है, यह हमारी सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक स्वतंत्रता का सवाल है। हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी इस पर शीघ्र और सकारात्मक कदम उठाएंगे।”
समाज में व्यापक चर्चा
यह मुद्दा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक स्तर पर भी चर्चा का केंद्र बन गया है। सोशल मीडिया पर लोग इस पहल को लेकर अलग-अलग राय व्यक्त कर रहे हैं। कुछ इसे ऐतिहासिक कदम मान रहे हैं, तो कुछ इसके प्रभाव पर सवाल उठा रहे हैं।