
मैनपुरी नरसंहार: बारिश ने धो दिए दाग, फिर भी आंखों से नहीं हट रहा मंजर
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उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में शनिवार को हुए सामूहिक हत्याकांड का मंजर भयावह था। घर के आंगन से लेकर कमरे और छत तक खून से लथपथ शव पड़े हुए थे। जहां नजर जाती बस खून ही नजर आता था। रविवार को दिन भर हुई बारिश ने खून के दाग तो धो दिए हैं, लेकिन फिर भी किसी की आंखों से वह खौफनाक मंजर नहीं हट रहा है।
घटना किशनी थाना क्षेत्र के गोकुलपुर अरसारा गांव की है। गांव निवासी सुभाष यादव के बड़े बेटे शिववीर ने अपने दो भाई, नवविवाहिता, बहनोई व भाई के दोस्त समेत पांच लोगों को बेरहमी से काटकर मौत के घाट उतार दिया था। पिता सुभाष और मां शारदा देवी ने सबसे पहले घर में वह भयावह मंजर देखा था।
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छोटा बेटा उसका दोस्त और दामाद का शव आंगन में खून से लथपथ पड़ा था। छत पर दूसरा बेटा और उसकी दुल्हन का शव चारपाई पर पड़ा था। हर तरफ खून ही खून बह रहा था। ये मंजर एक मां और पिता के लिए कितना भयावह हो सकता है, इसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है।
पुलिस के पहुंचने के बाद शव हटा गए, लेकिन खून के दाग हर तरफ नजर आ रहे थे। शनिवार शाम को और रविवार को पूरे दिन हुई बारिश ने खून के दाग भी धो दिए। लेकिन मां शारदा देवी को अब भी हर तरफ घर में खून ही खून नजर आता है। कभी दहाड़े मारकर रोने लगती है तो कभी आंगन में बेसुध होकर गिर जाती है। उनकी आंखें में वहीं खून का मंजर तैर रहा है।
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पिता सुभाष का हाल भी कुछ ऐसा ही है। तीन बेटे, बहू और दामाद को खोने के बाद वे बेसुध से हो गए हैं। उनके गले से जैसे आवाज ही चली गई है। वे कहते हैं कि जैसे ही घर के अंदर जाता है आंगन में खून से लथपथ अपनों के शव नजर आते हैं। वे कहते हैं कि जब तक सांस है वह कभी शनिवार का वह मनहूस दिन भूल नहीं पाएंगे।
आखिर मासूम बच्चों का क्या दोष ?
शिववीर ने पांच लोगों की हत्या कर खुद भी गोली मारकर खुदकुशी कर ली। वहीं पत्नी डॉली का अस्पताल में उपचार चल रहा है। ऐसे में शिववीर के दोनों मासूम बच्चे अब दादा-दादी के सहारे ही हैं। रविवार को जब बच्चे दादी के पास पहुंचे तो उन्होंने बच्चों से मुंह फेर लिया।
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उनका कहना था कि जिसने पूरा वंश खत्म कर दिया ये उसी हत्यारे के बच्चे हैं। लेकिन बच्चों को तो इसका आभास ही नहीं है कि उनके पिता ने क्या किया है। हालांकि बाद में जब इंस्पेक्टर अनिल सिंह ने दादी शारदा देवी को समझाया तो उन्होंने बच्चों को अपने गले लगाया।