यूपी के सीतापुर में महमूदाबाद तहसील मुख्यालय से महज 14 किमी दूर बसा अन्नीपुर गांव आज भी बिजली को तरस रहा है। आजादी के 78 वर्षों में बिजली विभाग के अधिकारी इस 14 किमी की दूरी को तय नहीं कर पाए हैं। विद्युतीकरण के अभाव में यहां के लड़कों को कुंवारेपन के दंश से गुजरना पड़ रहा है। कोई भी अच्छा रिश्ता गांव के लड़कों के लिए नहीं आता है। चुनाव में इस गांव का विद्युतीकरण हर बार मुद्दा बनता है। पर, कभी इसे अमली जामा नहीं पहनाया गया। ग्रामीणों में इस बात का रोष है।
अन्नीपुर निवासी कुसुमलता ने बताया कि गांव में बिजली नहीं थी। इस वजह से लड़के की शादी में अड़चन आती रही। बहुत मुश्किल से लखनऊ के एक परिवार से बेटे का रिश्ता तय हुआ। शादी के समय लिया गया कूलर, फ्रिज, टीवी, पंखा सब शोपीस बनकर रह गया है। शादी के बाद बहू बेटे के साथ लखनऊ में रहने लगी।
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मोहम्मद कासिम, ग्रामीण
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
इसी तरह गांव के कई लड़के शादी के बाद लखनऊ जाकर रह रहे हैं। बिजली के कारण अपनों का साथ छूट रहा है। उसे गांव में अच्छा नहीं लगता है। गांव के कई लड़कों की अभी भी बिजली के कारण शादी अटकी है। एक अन्य ग्रामीण मोहम्मद कासिम ने बताया कि बारह साल पहले बिजली के खंभे गांव में जगह जगह गिराये गये थे। बारह साल में यह खंभे सीधे खड़े नहीं किये जा सके।
बताया कि जब गांव में चुनाव आता है तो अधिकारी अपनी जेब में बिजली का आश्वासन रखकर लाते हैं। इसके बाद बिजली उनकी जेब से गायब हो जाती है। यहां लड़कों की शादियां नहीं हो पा रही हैं। जिनकी शादी हो चुकी है, उनको शादी में मिला उपहार जंग खा रहा है। लड़के के ससुराल वाले दामाद को कोस रहे हैं।
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जयंतीलाल वर्मा, ग्रामीण
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
मोमबत्ती में पढ़ने को मजबूर बोर्ड परीक्षार्थी
ग्रामीण जयंतीलाल वर्मा ने कहा कि इस गांव की समस्या बहुत विकट है। यहां आज तक किसी ने भी गांव की रोड और बिजली के बारे में नहीं सोंचा। सांझ होते ही ढिबरी या मोमबत्ती की रोशनी ही काम काज में सहारा बनती है। बोर्ड परीक्षा व परिषदीय स्कूल की परीक्षाएं आने वाली हैं। बच्चे मोमबत्ती में पढ़ने पर मजबूर हैं।
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अफसरजहां, ग्रामीण
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
ग्रामीण अफसरजहां ने कहा कि गांव के प्राथमिक स्कूल में शासन के बजट से बल्ब और पंखे तो लग गए लेकिन कभी उन बल्बों को किसी ने रोशन होते नहीं देखा।गांव में कोई भी बिजली उपकरण नहीं चला पाते हैं। कोई इस ओर ध्यान नहीं देता है।
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दीपक वर्मा , ग्रामीण
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ग्रामीण दीपक वर्मा ने कहा कि बच्चे रात में पढ़ते हैं तो लाइट की सुविधा न होने के कारण ढिबरी के सहारे पढ़ते हैं। अंधेरे में रात में निकलने में महिलाओं व बच्चों को काफी दिक्कत होती है। 78 साल से यह समस्या बरकरार है। लड़कों की शादी भी मना हो जाती है।