उटंगन में डूबे युवकों की तलाश के लिए अभियान अब भी जारी है। उटंगन में तीन से चार फीट ही पानी था, उसमें डूबने की घटना कैसे हुई? यह सवाल अब भी बना हुआ है। आखिर ऐसा क्या हुआ है, जिससे 12 लोग एक साथ डूब गए। इनको बाहर निकालने के लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ा। एसडीआरएफ व एनडीआरएफ के अलावा सेना की टीम भी लगी है। प्रशासनिक अधिकारी और तलाशी अभियान में लगी टीमों ने इस सवाल का जवाब पता करने के लिए घटना के बाद बचे विष्णु को मंगलवार सुबह घटनास्थल पर बुलाया। उसे मोटरबोट में बैठाया गया।
पानी में एक जवान को खड़ा कर दिया गया। विष्णु से पूछा गया कि घटना के समय कैसे लोग अंदर गए थे। उसने बताया कि गांव से मूर्ति लेकर आने के बाद सबसे पहले किनारे पर आए। यहां पर पानी कम था इसलिए प्रतिमा को वहीं पर रख दिया। पांच युवक पानी में अंदर जाने लगे। यह देखना था कि पानी कहां पर ज्यादा है? सीन दोहराने के लिए एक स्कूबा डाइवर को नदी में चलाया गया, विष्णु मोटरबोट में बैठा था। वह आगे घटनास्थल की तरफ जवान को ले गया, जहां 12 लोग डूबे थे। विष्णु ने बताया कि घटना वाले दिन पांच साथी आगे चल रहे थे। वह अचानक गड्ढे में गिर गए। उनके डूबने पर पीछे चल रहा वह और अन्य सात युवक बचाने के लिए पहले वाले युवकों की तरफ बढ़ गए मगर वो भी गड्ढे में डूब गए। वह इसलिए बच गया कि क्योंकि उसके हाथ में नदी में बनी दीवार का पत्थर आ गया। उसे गांव के एक अन्य युवक ने हाथ पकड़कर खींच लिया। सीन दोहराने के दाैरान उस स्थान पर जवान को पहले से गड्ढे के बारे में पता था। वह आगे बढ़ा तो गड्ढा आ गया। यह वही स्थान था, जहां से सभी शव बरामद किए गए हैं।