
Agra News: भारतीय नौसेना
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कतर में पूर्व नौसैनिकों को मृत्युदंड की सजा का मामला सुर्खियों में है। भारत ने वहां की अदालत के इस फैसले पर हैरानी जताते हुए इसे बेहद दुखद बताया है। हालांकि एक मामला और है, जिसमें आगरा के रहने वाले पूर्व नेवी के कैप्टन को सजा हुई थी। सजा पूरी होने पर संधि के तहत उन्हें ईरान से भारत लाया गया। आगरा की केंद्रीय कारागार में 42 दिन बाद उन्हें सलाखों से आजाद कर दिया गया। इससे परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।
मामला चार साल पुराना है। आगरा पुलिस के मुताबिक, अछनेरा के गांव सूरौठी निवासी राजवीर मर्चेंट नेवी में कैप्टन थे। वह क्रूज पर तैनात थे। तब गैस फ्यूल ईरान से पाकिस्तान जा रहा था। इस फ्यूल की स्मगलिंग की गई थी। मामला सामने आने के बाद ईरान में यह पकड़े गए थे। इनमें भारत के तीन नागरिक थे। राजवीर को 14 जुलाई 2019 को गिरफ्तार किया गया था। 3 महीने बाद उन्हें 3 साल की सजा हुई।
जुर्माना अधिक होने से सजा पूरी करने के बाद भी जेल में थे। उन्हें तकरीबन 15 साल और जेल में गुजारने थे। मगर, भारत और ईरान के बीच संधि के तहत नागरिकों की जानकारी भारत भेजी गई। इस पर 15 अगस्त को आगरा से एसीपी छत्ता आरके सिंह और एसीपी पिनाहट अमरदीप लाल ईरान भेजे गए थे। एक सप्ताह तक सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद वह राजवीर को अपने साथ वतन ले आए।
ईरान में हुई थी सजा, यहां रिहाई
एसीपी छत्ता आरके सिंह ने बताा कि ‘राजवीर को फ्यूल स्मगलिंग के आरोप में तीन साल की सजा हुई थी। सजा पूरी करने के बाद उनकी आजादी पर फैसला नहीं हुआ था। इसलिए उन्हें 23 अगस्त को आगरा की केंद्रीय कारागार में रखा गया। चार अक्तूबर को रिहाई आदेश मिलने पर उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया।’
सजा पूरी कर ली थी
केंद्रीय कारागार के अधीक्षक ओपी कटियार ने बताया कि ‘ईरान में राजवीर ने अपनी सजा पूरी कर ली थी। उन्हें यहां लाकर केंद्रीय कारागार में रखा गया था। गृह मंत्रालय से आदेश मिलने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। पत्नी रेणु उनको लेने आई थी।’
महाराष्ट्र और राजस्थान के भी थे दो नागरिक
संधि के तहत एक दूसरे के बंदियों को उनके देश में सौंपा जाना होता है। भारत में बंदी के आने के बाद भारतीय कानून के मुताबिक ही सजा पूरी करनी होती है। मगर, ईरान के बंदियों के मामले में ऐसा नहीं था। वह सजा पूरी कर चुके थे। इसके बाद उन्हें यहां भेजा गया था। आगरा के साथ महाराष्ट्र और राजस्थान के भी बंदी थे। उनकी पूर्व में ही रिहाई हो गई थी।
परिवार की मेहनत रंग लाई
राजवीर की आजादी के लिए परिवार ने काफी मेहनत की। भारत लाने पर भी पत्नी इधर-उधर भटक रहीं थी। उन्होंने आगरा प्रशासन, मुख्यमंत्री और गृह मंत्रालय में गुहार लगाई। इसके बाद राजवीर की रिहाई हो सकी।