एसजीपीजीआई में क्वार्टरनरी हेल्थकेयर प्रोजेक्ट शुरू होगा। इससे एक ही ऑपरेशन थियेटर (ओटी) में गंभीर मरीजों को कई तरह की सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा सेवाएं मिल सकेंगी। गंभीर मरीजों की मृत्यूदर में कमी आएगी। सरकारी क्षेत्र में यह सुविधा शुरू कराने वाला एसजीपीजीआई उत्तर भारत का पहला संस्थान होगा। इसे मंगलवार को हुई शासी निकाय की बैठक में मंजूरी दी गई। ये निर्णय उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को विश्वस्तरीय बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।

एसजीपीजीआई शासी निकाय की मंगलवार को मुख्य सचिव एसपी गोयल की अध्यक्षता में हुई बैठक में क्वार्टरनरी हेल्थकेयर प्रोजेक्ट पर विस्तार से चर्चा हुई। जटिल बीमारियों में मरीजों को एक साथ कई तरह की सुविधाएं देने की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए क्वार्टरनरी हेल्थकेयर प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दी गई। इस प्रोजेक्ट के तहत संस्थान में एक नया सेंटर विकसित किया जाएगा। करीब पांच साल में तैयार होने वाले इस सेंटर को चरणवद्ध तरीके से विकसित किया जाएगा। अब इस परियोजना का अलग- अलग चरणों में आगणन किया जाएगा। इसमें एआई का भी सहयोग लिया जाएगा। बैठक में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित कुमार घोष, प्रो. शालीन कुमार, रजिस्ट्रार कर्नल वरुण बाजपेयी आदि मौजूद रहे।

कैसे काम करेगा सेंटर

विशेषज्ञों के मुताबिक यदि किसी मरीज में किडनी ट्रांसप्लांट होना है और उसमें हार्ट अटैक अथवा अन्य बीमारी के भी लक्षण मिलते हैं। ऐसे में उस मरीज के उपचार में संबंधित सुपर स्पेशियलिटी विभाग के विशेषज्ञों को भी शामिल कर लिया जाएगा। यानी इस तरह के मरीजों की देखभाल में कई सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा विशेषज्ञ एक साथ लग जाएंगे। मरीज को कहीं ले जाने के बजाय एक ही छत के नीचे सभी विभागों से जुड़ी जांचें और विशेषज्ञ मिल जाएंगे। मरीज के उपचार में रोबेटिक सर्जरी सहित तमाम तरह की डिजिटल इनोवेशन का भी प्रयोग किया जाएगा। ऐसे में मरीजों को राहत मिलने के साथ ही एक साथ आपस में जुड़ी विभिन्न बीमारियों से जुड़े शोध को भी बढ़ावा मिलेगा।

टेलीमेडिसिन को बढ़ावा

प्रदेश में विशेषज्ञों की कमी है। प्रति एक हजार लोगों पर 0.3 से भी कम विशेषज्ञ हैं। ऐसे में एसजीपीजीआई अपने नेटवर्क के जरिए इस सेंटर से अत्याधुनिक डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध कराएगा। इस सेंटर से टेली-हेल्थकेयर, मल्टी-स्पेशियलिटी डिजिटल परामर्श, निर्णय समर्थन तथा तीव्र आपातकालीन सेवाएं प्रदान करने की दिशा में भी कार्य किया जा सकेगा।

फायर सेफ्टी संवर्ग का होगा गठन, नर्सिंग संवर्ग को मिलेगा रिसर्च एलाउंस

शासी निकाय की बैठक में फायर सेफ्टी संवर्ग के गठन को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई। इसके बाद जरूरत के हिसाब से अलग- अलग पदों पर भर्ती से लेकर कार्य पद्धति के लेकर नियमावली तैयार की जाएगी। इसी तरह नर्सिंग संकाय सदस्यों के लिए क्लिनिकल रिसर्च अलाउंस को भी मंजूरी दी गई है।



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