UP: Will not be able to deposit more than Rs 5 lakh in GPF account

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : iStock

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 प्रदेश सरकार के कर्मचारियों पर जीपीएफ खाते में जमा होने वाली राशि की सीमा तय कर दी गई है। अब सामान्य भविष्यनिधि खाते में एक साल में पांच लाख रुपये से ज्यादा जमा नहीं किए जा सकेंगे। इस संबंध में मंगलवार को कैबिनेट में पेश प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। केंद्र सरकार इस नियम को पहले ही लागू कर चुकी है।

उत्तर प्रदेश सरकार में पुरानी पेंशन पाने वाले करीब सात लाख कर्मचारियों को जमा का झटका लगा है। दरअसल पिछले साल 15 जून को केंद्र सरकार के कार्मिक और पेंशन मंत्रालय ने एक वित्त वर्ष में किसी अंशधारक द्वारा जीपीएफ में पांच लाख रुपये की अंशदान सीमा निर्धारित की थी। इसके बाद केंद्र में एक साल में अधिकतम पांच लाख रुपये के अंशदान का प्रावधान लागू हो चुका है। केंद्र सरकार की अधिसूचना के आधार पर प्रदेश सरकार ने भी सामान्य भविष्यनिधि (उत्तर प्रदेश) नियमावली में संशोधन कर दिए हैं।

इस फैसले के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार के कार्मिक अपने सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) खाते में साल में पांच लाख रुपये से ज्यादा जमा नहीं कर सकेंगे। प्रदेश में एक अप्रैल, 2005 से पहले नियुक्त सरकारी कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू है। इनके लिए ही जीपीएफ की सुविधा है। कार्मिक के मूल वेतन का न्यूनतम 10 प्रतिशत हर माह उसके जीपीएफ एकाउंट में जमा करना अनिवार्य है। जबकि अधिकतम की कोई सीमा नहीं लगाई गई है। वर्तमान में राज्य में करीब 7 लाख सरकारी कार्मिक जीपीएफ स्कीम के दायरे में हैं।

पहले जीपीएफ में जमा राशि आयकर विभाग के टैक्स के दायरे में नहीं आती थी लेकिन 1 अप्रैल, 2022 से लागू नए नियमों के तहत एक वित्त वर्ष में जीपीएफ में 5 लाख से अधिक जमा राशि कर के दायरे में होगी। यानी, 5 लाख से अधिक राशि को उसी तरह से कर योग्य माना जाएगा, जिस तरह से दूसरे स्रोतों से हुई आय को माना जाता है।

अभी तक तमाम कर्मचारी निर्धारित न्यूनतम सीमा 10 प्रतिशत से कहीं ज्यादा राशि जीपीएफ खाते में जमा करते थे। इसके पीछे की मुख्य वजह जीपीएफ खाते में जमा राशि और उस पर अर्जित ब्याज का पूरी तरह से कर मुक्त होना था। इसके अलावा वर्तमान में तो एफडी के मुकाबले इस स्कीम में ज्यादा ब्याज है। जीपीएफ पर 7.1 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलता है, जबकि एसबीआई में एफडी पर ब्याज की दरें इससे नीचे हैं। आयकर संबंधी नियमों में बदलाव के कारण यूपी में सामान्य भविष्य निधि नियमावली में संशोधन की आवश्यकता जरूरी हो गई थी।



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