
सांकेतिक तस्वीर
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फर्जी फर्मों के खिलाफ देशभर में छेड़ा गया जांच अभियान उत्तर प्रदेश में लगभग पूरा हो गया। पहली बार स्टेट जीएसटी और सेंट्रल जीएसटी द्वारा संयुक्त रूप से छेड़े गए अभियान के तहत प्रदेश में करीब 12 हजार संदिग्ध फर्मों की जांच की गई। इनमें लगभग 779 फर्में फर्जी पाई गईं, जिनके जरिए 615 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी व फ्राड किया गया। ये आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है।
बोगस फर्मों के जरिए जालसाज फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट लेकर सरकार को अरबों का चूना लगा रहे हैं। लाख प्रयासों के बावजूद टैक्स चोरी पर पूरी तरह रोक नहीं लग पा रही है। इसे देखते हुए 16 मई से 15 जुलाई तक स्पेशल आल इंडिया ड्राइव शुरू की गई थी। इसके तरह स्टेट जीएसटी और सेंट्रल जीएसटी को करीब 12 हजार संदिग्ध फर्मों का डाटा जांच के लिए दिया गया था जिनकी जांच पूरी हो गई। जांच के दौरान लगभग 779 फर्जी फर्मों का भंडाफोड़ हुआ। इन फर्मों ने 615 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा कर सरकार को चूना लगाया। इनका 52 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) ब्लाक किया गया।
इसमें से करीब 6500 संदिग्ध फर्मों की जांच स्टेट जीएसटी ने की और 129 फर्जी फर्मों को पकड़ा गया। इन फर्मों से 65 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया। विभाग ने इन फर्मों की करीब 15 करोड़ रुपये का आईटीसी ब्लाक कर दिया। सेंट्रल जीएसटी और सेंट्रल एक्साइज लखनऊ जोन को भी संदिग्ध फर्मों के खिलाफ जांच में बड़ी सफलता मिली है। जोन में लखनऊ, कानपुर, आगरा, इलाहाबाद और वाराणसी कमिश्नरेट आते हैं। अभियान के तहत सीजीएसटी लखनऊ जोन को 3063 संदिग्ध जीएसटी नंबर जांच के लिए दिए गए थे जिनमें लगभग सभी का सत्यापन कर लिया गया। इस दौरान 452 फर्में फर्जी पाई गईं। इन फर्मों के द्वारा कुल 349.51 करोड़ रुपये की जीएसटी और इनपुट टैक्स क्रेडिट का फ्राड पकड़ा गया। शेष फर्जीवाड़ा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पकड़ा गया जो अभी और बढ़ सकता है।
अब दोनों विभाग फर्जी फर्मों से जुड़ी फर्मों के रैकेट की पड़ताल कर रहे हैं। आगे बड़े स्तर पर कार्यवाही की तैयारी की जा रही है। जांच के दौरान पाया गया कि बोगस फर्मों के पंजीकरण के लिए फर्जी बिजली के बिल, फर्जी आधार, प्रापर्टी टैक्स और किरायानामा का इस्तेमाल किया गया। बड़ी संख्या में फर्जी पैन के उपयोग के दस्तावेज भी पाए गए हैं।