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नगर निकाय चुनाव के पहले चरण की दस नगर निगम में भाजपा ने 2017 का इतिहास दोहराने में पूरी ताकत लगाई है। वहीं सपा, बसपा, कांग्रेस ने भाजपा का रिकॉर्ड तोड़कर अपनी लाज बचाने की हर संभव कोशिश की है। दस नगर निगम में से ज्यादातर में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला है, वहीं आगरा में भाजपा का मुकाबला बसपा से है। राजधानी लखनऊ, प्रयागराज, फिरोजाबाद में बसपा ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया है। कुल मिलाकर बृहस्पतिवार को होने वाले मतदान में मतदाता राजनीतिक दलों के दावों को अपनी कसौटी पर परखेगा।
पहले चरण में लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, आगरा, सहारनपुर, मथुरा-वृंदावन और झांसी नगर निगम में महापौर चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को मतदान होगा। 2017 में इन सभी दस नगर निगम में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। भाजपा ने निकाय चुनाव में सभी 17 नगर निगम में जीत के साथ 60 प्रतिशत तक वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा है। लिहाजा भाजपा के सामने सभी सीटों पर जीत के साथ जीत का अंतर बढ़ाने की भी चुनौती है। निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव का पूर्वाभ्यास मानने के चलते निगम चुनाव में सपा, बसपा के सामने खाता खोलने की चुनौती है। चुनाव के नतीजे भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस की चुनावी रणनीति के साथ जातीय आधार भी बताएंगे।
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लखनऊ : त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
लखनऊ नगर निगम को भाजपा का गढ़ माना जाता है। प्रदेश में सपा, बसपा की सरकारों के समय भी निगम चुनाव में कमल खिला था। भाजपा ने पुरानी कार्यकर्ता सुषमा खर्कवाल को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, सपा ने राजधानी के मुस्लिम और यादव वोट बैंक के साथ ब्राह्मण वोट बैंक को जोड़कर भाजपा के सामने चुनौती खड़ी करने के लिए वंदना मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए शाहीन बानो को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने संगीता जायसवाल पर दांव लगाया है। राजधानी में भाजपा के परंपरागत वोट बैंक ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य, पंजाबी के साथ दलित वर्ग के पासी, कोरी के मतदाताओं की बड़ी संख्या हैं। ऐसा माना जा रहा है कि शाहीन बानो को जितने मुस्लिम वोट मिलेंगे सपा को उतना ही नुकसान होगा। राजधानी में कांग्रेस की प्रत्याशी संगीता ने चुनाव प्रचार में पूरा जोर लगाकर मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने की कोशिश की है।
गोरखपुर : बाबा का सहारा
गोरखपुर नगर निगम को भाजपा का गढ़ माना जाता है। 2017 के निकाय चुनाव में गोरखपुर में भाजपा के सीताराम जायसवाल 75,972 मतों से चुनाव जीते थे। मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश में प्रचार के साथ गोरखपुर में चुनाव की कमान खुद के हाथ में रखी है। क्षेत्र में करीब पौने दो लाख कायस्थ मतदाताओं की संख्या को देखते हुए डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव को प्रत्याशी बनाया है। निषाद वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए सपा ने काजल निषाद को प्रत्याशी बनाया है। बसपा से नवल किशोर नथानी, कांग्रेस से नवीन सिन्हा प्रत्याशी हैं। गोरखपुर नगर निगम में 12.36 लाख मतदाता 13 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। मुख्यमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र होने के नाते गोरखपुर में भाजपा का पलड़ा भारी माना जा रहा है।
प्रयागराज : मुस्लिम-कायस्थ वोट तय करेंगे हार-जीत
प्रयागराज में भाजपा ने काडर के कार्यकर्ता उमेश चंद्र गणेश केसरवानी को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा वहां राष्ट्रवाद के साथ माफिया पर मार के मुद्दे को उठाकर चुनावी राह आसान करने में जुटी है। वहीं, सपा ने शहर के मुस्लिम व यादव के साथ कायस्थ वोट बैंक को साधकर मुकाबले को रोचक बनाने के लिए अजय श्रीवास्तव को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने पूर्व विधायक सईद अहमद पर दांव खेलकर सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। कांग्रेस से प्रभाशंकर मिश्रा और आम आदमी पार्टी से व्यापारी नेता मोहम्मद कादिर भी मैदान में हैं। प्रयागराज में करीब ढाई लाख कायस्थ और इतनी ही संख्या में मुस्लिम आबादी मानी जाती है। जानकारों का मानना है कि सईद अहमद और मोहम्मद कादिर को जितने वोट मिलेंगे सपा को उतना ही नुकसान होगा।
वाराणसी : मोदी के नाम और काम से पार होगी वैतरणी
वाराणसी नगर निगम में भाजपा ने साधारण कार्यकर्ता अशोक तिवारी को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने काशी के ठाकुर मतदाताओं की नाराजगी को भांपते हुए ओमप्रकाश सिंह पर दांव खेला है। सपा ने ठाकुर समाज के साथ तीन लाख मुस्लिम, 35 हजार से अधिक यादव वोट बैंक के जरिये मुकाबला रोचक बनाने की कोशिश की है। वहीं कांग्रेस ने अनिल श्रीवास्तव को प्रत्याशी बनाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। भाजपा अगड़े पिछड़े के जातीय समीकरण के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और काम के आधार पर ही चुनाव लड़ रही है।
फिरोजाबाद : बसपा ने मुकाबले बनाया दिलचस्प
फिरोजाबाद नगर निगम में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला था, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान बसपा प्रत्याशी रुखसाना बेगम के पति महबूब अजीज का निधन होने से रुखसाना को मुस्लिम समुदाय की सांत्वना मिल रही है। लिहाजा अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। भाजपा ने कामिनी राठौर को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, सपा से मशरूर फातिमा चुनाव लड़ रही हैं। कांग्रेस ने भी नुजहद अंसारी को प्रत्याशी बनाकर सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। जानकारों का मानना है कि सपा, बसपा और कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशी के बीच मुस्लिम वोट बैंक का जितना बंटवारा होगा, उतना ही भाजपा को फायदा होगा। उधर, भाजपा ने राष्ट्रवाद का नारा देते हुए पूरी ताकत लगा दी है।