चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से काटने के लिए चिह्नित मतदाताओं के मामले में दोबारा जांच करने के निर्देश सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को दिए हैं। अभी तक इस श्रेणी में 18.48 प्रतिशत मतदाता चिह्नित किए गए हैं। आयोग ने समीक्षा बैठक में इस संख्या को काफी ज्यादा माना है। स्थिति यह है कि अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार, करीब तीन करोड़ मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाएंगे, जोकि केरल के मतदाताओं की कुल संख्या से भी ज्यादा है।
यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि मंगलवार को भारत निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त मनीष गर्ग की अध्यक्षता में प्रदेश के सभी मंडलायुक्त, रोल प्रेक्षक, विशेष रोल प्रेक्षक, जिला निर्वाचन अधिकारियों और अतिरिक्त जिला निर्वाचन अधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक हुई। इसमें विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (एसआईआर) से संबंधित गतिविधियों की समीक्षा की गई।
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प्रदेश में कुल 15.44 करोड़ मतदाताओं के गणना प्रपत्र के सापेक्ष 98.14 प्रतिशत गणना प्रपत्रों के डिजिटाइजेशन का काम पूरा हो चुका है। इन डिजिटाइज गणना प्रपत्रों में 79.95 प्रतिशत गणना प्रपत्र मतदाता या उसके परिवार के सदस्य के हस्ताक्षर के बाद प्राप्त हुए हैं। डिजिटाइज गणना प्रपत्रों में 18.48 प्रतिशत गणना प्रपत्रों को असंग्रहीत यानी मृतक, स्थायी रूप से स्थानांतरित, अनुपस्थित और दो जगह वोट वाले मतदाताओं आदि की श्रेणी में चिह्नित किया गया है।
इस संबंध में सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को मृतक, स्थायी रूप से स्थानांतरित, अनुपस्थित और दोहरी प्रविष्टि वाले मतदाताओं के पुनः सत्यापन के निर्देश दिए गए। जिन मतदेय स्थलों पर शत-प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है, वहां पर बीएलओ द्वारा अपने बूथ के असंग्रहीत मतदाताओं की सूची मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) को उपलब्ध कराई जाए। इस दौरान 12 दिसंबर तक सभी बीएलओ के साथ बीएलए की बैठक कराए जाने के निर्देश दिए गए।
