UP Assembly session: During the time of SP government, there was a lot of bickering in the district panchayat

यूपी विधानसभा
– फोटो : amar ujala

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सपा सरकार के शासन में 2016-17 में प्रदेश में जिला पंचायतों में सरकारी धन की जमकर बंदरबांट हुई। नियमों के विपरीत टेंडर कर सरकार को सैंकड़ों करोड़ रुपये की हानि पहुंचाई गई। विधानसभा में पेश त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं के 2016-17 के वार्षिक प्रतिवेदन में इसका खुलासा हुआ है।

लखनऊ की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष से होगी वसूली

लखनऊ की तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष माया यादव की ओर से अतिथि के नाम पर ली गई टैक्सी के भुगतान की वसूली की जाएगी। त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं के 2016-17 के वार्षिक प्रतिवेदन में सामने आया है कि अध्यक्ष को सरकार की ओर से वाहन सुविधा मिलने के बाद भी अतिथि के नाम पर छह बार टैक्सी ली गई। टैक्सी के बदले जिपं से 2.95 लाख रुपये का भुगतान किया गया। ऑडिट रिपोर्ट में भुगतान को अनियमित मानते हुए वसूली की संस्तुति की गई है। इसके लिए तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी पुनीत वर्मा को जिम्मेदार माना है। आदित्य इंटरप्राइजेज को रंगाई पुताई के नाम पर 32.36 लाख रुपये के भुगतान को भी अनियमित माना गया है।

लखनऊ जिला पंचायत में अधिकारी आवास बनने के बाद भी तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष माया यादव, अपर मुख्य अधिकारी आरएन सिंह सहित पांच कार्मिक मकान किराया भत्ता लेते रहे। जिपं के कार्मिकों के वेतन से काटी गई भविष्य निधि की राशि को बचत योजना में जमा नहीं कराया गया। इससे आयकर की धारा 80सी से ली गई छूट में अनियमितता हुई। अधिकारियों को नियम विरुद्ध भवन निर्माण के लिए अग्रिम राशि का भुगतान किया गया। ईंट भट्टा संचालकों से भी करीब सवा दो लाख रुपये की वसूली नहीं हुई।

फिरोजाबाद जिला पंचायत में 24.24 करोड़ रुपये का काम गलत कराए

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि फिरोजाबाद जिला पंचायत ने 24.24 करोड़ से अधिक के निर्माण कार्य जानबूझकर क्षेत्राधिकार से बाहर कराए गए। जिला पंचायत केवल जिला सड़कों का ही निर्माण करा सकती है लेकिन जिपं ने अन्य सड़कों का निर्माण कराया। जिपं ने आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए जनता को लुभाने के कार्य भी किए। वित्त विभाग की सहमति के बिना नया खाता खोलकर उसमें 29.50 करोड़ रुपये हस्तांतिरत किया गया। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आचार संहिता के दौरान सरकारी धन का उपयोग करने के लिए खाता खोला गया। रिपोर्ट में इसे गंभीर अनियमिता मानते हुए अपर मुख्य अधिकारी, वित्तीय परामर्शदाता एवं लेखाकार को जिम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट में अपर मुख्य अधिकारी और जिला पंचायत अध्यक्ष को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है।

सुल्तानपुर में मनमर्जी से बना दी करोड़ों की सड़क

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि गांव में किसी एक घर से दूसरे घर तक सड़क बनाने का कार्य ग्राम पंचायत करती है। लेकिन जिला पंचायत ने अलग-अलग गांवों में 49 सड़कें नियमों के विपरीत बनाकर 3.81 करोड़ रुपये की राजस्व हानि पहुंचाई। रिपोर्ट में जिला पंचायत के मुख्य अधिकारी अरविंद कुमार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

सुल्तानपुर में 6.28 करोड़ रुपये की लागत से 6 सड़कों का निर्माण कराया। नियमानुसार सड़क निर्माण के भुगतान से पहले अतिरिक्त अधीक्षण अभियंता से निरीक्षण कराना था। लेकिन बिना निरीक्षण के ही भुगतान कर दिया। इसके लिए जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा सिंह और अपर मुख्य अरविंद कुमार आनंद को जिम्मेदार माना है। राज्य वित्त आयोग के बजट से 82.24 लाख रुपये का दुरुपयोग कर दुकानों, और मकानों का निर्माण कराया गया।

जांच में सामने आया है कि अवर अभियंताओं ने बिलों में पुअर वर्क लिखकर ठेकेदारों से बिलों से नाम मात्र की कटौती की। बिल में यह नहीं बताया गया कि काम में क्या कमी है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि अवर अभियंता और ठेकेदार ने मिलीभगत से अधोमानक निर्माण कराकर राजकीय अनुदान का दुरुपयोग किया।

बहराइच में भी मिली अनियमितता

बहराइच जिला पंचायत में नौकाघाट की नीलामी की वसूली नहीं होना पाया गया। हड्डी चमड़ा लाइसेंस की फीस भी जमा नहीं होना पाया गया। तहसीलों में स्थित भवनों में लाखों रुपये की किराया वसूली नहीं होना भी सामने आया है।

बलरामपुर में मनमानी फर्म से खरीदा सामान

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जिला पंचायत ने केसरवानी इले. से टुल्लू पंप, सीलिंग फैन, बिजली का सामान और अलमारी खरीदी। विभिन्न मस्टरोल में 2.23 लाख का गलत भुगतान हुआ है।

गोंडा में डीजल पी गए अधिकारी

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि गोंडा जिला पंचायत मं जनरेटर और वाहनों में डीजल खरीद के नाम पर लाखों रुपये की हेरफेर का खुलासा किया है। जनरेटर के लिए दो साल में 2.42 लाख रुपये का डीजल खरीदा गया। वहीं वाहनों के लिए 1.33 लाख रुपये का डीजल खरीदा गया। अधिकृत अधिकारी की स्वीकृति के बिना 2.46 लाख रुपये का सामान भी खरीदा गया।

श्रावस्ती में ठेकों और नीलामी में हुई गड़बड़ी

श्रावस्ती जिला पंचायत में नौकाघाट की नीलामी के 5.79 लाख रुपये और हड़्डी चमड़ा लाइसेंस से चार लाख रुपये की वसूली नहीं करने का मामला सामने आया है। जिले के विकासखंडों में स्थित जिपं की दुकानों से किराये की वसूली नहीं होने से भी लाखों रुपये का नुकसान सामने आया है।

हरदोई में 1.34 करोड़ के टेंडर गलते दिए

जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि हरदोई में 17 कार्यों के 1.34 करोड़ के टेंडर गलत दिए गए। टेंडर देने से पहले ठेकेदार से अपेक्षित अमानत राशि पूरी जमा नहीं की गई।

 



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