हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 35 वर्ष पहले बिना टिकट यात्रियों से 285 रुपए वसूलने के मामले में उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम के कंडक्टर की सेवा से बर्खास्तगी के आदेश को उचित करार दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे कंडक्टर की सेवा खत्म किए जाने के आदेशों में कोई अवैधानिकता नहीं है।

न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार राय की एकल पीठ ने यह फैसला मोहम्मद आरिफ की याचिका को खारिज करके दिया। याची ने सेवा से बर्खास्त करने समेत बर्खास्तगी के खिलाफ दाखिल अपील को खारिज करने के विभागीय आदेशों को चुनौती दी थी। याची को वर्ष 1990 में 30 यात्रियों को टिकट न देकर उनसे 285 रुपए वसूलने के आरोपों में सेवा से बर्खास्त किया गया था। 

9 मार्च 1990 को जांच दल ने पाया था कि रेणुकूट से राबर्ट्सगंज के बीच जा रही रोडवेज बस में 83 में से 30 यात्री बिना टिकट यात्रा कर रहे थे। पता चला कि इन 30 यात्रियों से आरिफ ने 285 रुपए वसूले थे। जांच में दोषी पाए जाने पर आरिफ को मई 2002 में सेवा से बर्खास्त किया गया। इसके खिलाफ उसने विभाग में अपील की, जो सितंबर 2002 में खारिज जो गई थी। इन्हीं आदेशों को चुनौती देकर उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।



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