कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 को सख्ती से लागू करने के निर्देश सरकार समय-समय पर देती है लेकिन इसे अमलीजामा पहनाने में सरकारी महकमों के साथ निजी प्रतिष्ठान भी राजी नहीं हैं। झांसी में ही करीब 70 फीसदी कार्यस्थल ऐसे हैं, जहां महिलाओं की सुनवाई के लिए गठित होने वाली कमेटी का अता-पता नहीं है। कानून का पाठ पढ़ाने वाले अहम सरकारी महकमे भी इनमें शामिल हैं। इस वजह से इन दफ्तरों में काम करने वाली महिलाएं अपनी शिकायतों को लेकर भीतर ही भीतर घुट रही हैं।

नियमों के मुताबिक जिस सरकारी और निजी दफ्तर में 10 या इससे ज्यादा कर्मचारी हैं, वहां लैंगिक उत्पीड़न संबंधी शिकायत सुनने के लिए विशेष समिति होनी चाहिए। इसके जरिये कार्यस्थल पर महिलाकर्मी को सुरक्षा दिया जाना है। इस प्रावधान के बावजूद अधिकांश सरकारी एवं निजी संस्थानों में इनका गठन नहीं हुआ है। यह बात पिछले दिनों एक बार फिर से उजागर हुई। जिलाधिकारी ने मातहतों को फटकार लगाते हुए जल्द इस कमेटी के गठन की कवायद शुरू करने को कहा लेकिन अभी तक इनके गठन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई।

जानकारों का कहना है कि सैकड़ों निजी दफ्तरों का भी यही हाल है। यहां भी इस तरह की कमेटी गठित होनी चाहिए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पूरे जनपद में महज 80 सरकारी दफ्तरों में ही कमेटी काम कर रही है। जिला प्रोबेशन अधिकारी सुरेंद्र पटेल का कहना है कि कुल 166 कार्य स्थलों पर महिला लैंगिक उत्पीड़न की कमेटी बनी है। जहां इनका गठन नहीं हुआ है उनको पत्र भेजा गया है।

महिला कर्मचारी की मौजूदगी अनिवार्य

इस कमेटी में संस्थान की किसी महिला कर्मचारी को शामिल किया जाना अनिवार्य है। अगर किसी कमेटी में सिर्फ पुरुष हैं, तो उसे वैध नहीं माना जाएगा। वहीं, कई दफ्तरों में पुरुष को ही शामिल कर लिया गया लेकिन उनके यहां पुनर्गठन किया जा रहा है।

कार्यस्थल पर निगरानी भी आवश्यक

सरकार ने महिला कर्मियों की सुरक्षा के लिए अन्य कई प्रावधान किए हैं। कार्यस्थल पर सीसीटीवी, एक्सेस कंट्रोल सिस्टम आदि सुरक्षा उपाय करने को भी कहा गया है। साथ ही सभी कर्मियों के पहचान पत्र जुटाने तथा आपात स्थिति में संपर्क के लिए चौबीस घंटे एक अधिकारी नामित करने के भी निर्देश हैं। महिलाओं के लिए कार्यस्थल के पास अलग और सुरक्षित रेस्ट रूम और प्रसाधन कक्ष की व्यवस्था रखने के लिए भी निर्देश हैं लेकिन कई सरकारी दफ्तरों में अभी तक इसका इंतजाम नहीं है।

यह है कानून

कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 के तहत शारीरिक संपर्क और यौन संपर्क के लिए मांग अथवा अनुरोध, लैंगिक रूप से भद्दी टिप्पणी, अश्लील साहित्य दिखाना, अन्य अवांछनीय शारीरिक, मौखिक या अमौखिक आचरण नहीं किया जा सकता। कार्यस्थल पर महिलाएं ऐसी शिकायतों को आंतरिक शिकायत समिति के सामने कर सकती हैं।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अभी अभी की खबरें