मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar)। जिलाधिकारी कार्यालय के सामने आज राजपूत समाज के लोगों ने जबरदस्त हंगामा किया। राजपूत महासभा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने एक ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति को सौंपा, जिसमें समाजवादी पार्टी (SP) के सांसद द्वारा महान योद्धा राणा सांगा के बारे में की गई विवादित टिप्पणी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई।
क्या था विवाद?
राजपूत महासभा के अध्यक्ष ठाकुर राजेंद्र सिंह पुंडीर ने बताया कि SP सांसद ने ऐतिहासिक योद्धा राणा सांगा के बारे में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया, जिससे पूरा राजपूत समाज आहत है। उन्होंने कहा, “राणा सांगा वह महान शख्सियत थे, जिन्होंने दुश्मनों को कई बार धूल चटाई। उनके बारे में ऐसी टिप्पणी करना न सिर्फ उनका अपमान है, बल्कि पूरे राजपूत समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कदम है।”
“80 घाव थे शरीर पर, पर दर्द नहीं था मन में!”
राजेंद्र सिंह पुंडीर ने राणा सांगा की वीरता को याद करते हुए कहा, “इतिहास गवाह है कि राणा सांगा ने 80 से ज्यादा घाव खाकर भी युद्ध भूमि में डटे रहे। ऐसे वीर के बारे में कोई गलत बोले, तो यह सिर्फ उसकी संकीर्ण सोच को दिखाता है।” उन्होंने साफ किया कि अगर SP मुखिया अखिलेश यादव ने सांसद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, तो राजपूत समाज आने वाले चुनाव में जवाबी कार्रवाई करेगा।
“2024 में 37 सांसद दिलवाए, अब यही सिला?”
राजपूत नेताओं ने SP पर निशाना साधते हुए कहा कि “2024 के चुनाव में राजपूत समाज ने 37 सांसद जितवाने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन आज उसी समाज के नायक का अपमान किया जा रहा है। यह सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
जिलाधिकारी को सौंपा गया ज्ञापन
इस विरोध प्रदर्शन में राजपूत महासभा के नेताओं के अलावा सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे। राहुल सिंह, नीरज सोलंकी, भीष्म सिंह पुंडीर, मानवेंद्र प्रताप सिंह, रामफल सिंह, देवेंद्र पुंडीर, कुलदीप राजपूत, राहुल पुंडीर, योगेश ठाकुर, मुकेश पुंडीर और संजीव कुमार जैसे प्रमुख लोगों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। अधिवक्ताओं ने भी इस मामले में कानूनी कार्रवाई की मांग की।
“सदस्यता रद्द करो, गिरफ्तारी करो!”
प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर में मांग की कि विवादित सांसद की संसद सदस्यता तुरंत रद्द की जाए और उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 48 घंटे के अंदर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो प्रदर्शन और बड़े स्तर पर होगा।
राजनीतिक भूकंप की आशंका
यह मामला अब राजनीतिक रूप ले चुका है। राजपूत समाज UP की राजनीति में एक बड़ा वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में SP के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति है। अगर अखिलेश यादव ने इस मामले में कोई लापरवाही दिखाई, तो आने वाले चुनावों में इसका बड़ा नुकसान हो सकता है।
क्या कहता है इतिहास?
राणा सांगा मेवाड़ के शासक थे और उन्होंने मुगलों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ीं। उनकी वीरता की गाथाएं आज भी राजपूत समाज में गर्व से सुनाई जाती हैं। ऐसे में उनके बारे में कोई भी अपमानजनक बयान समाज को भड़काने के लिए काफी है।
अब क्या होगा?
अब सबकी नजरें SP प्रमुख अखिलेश यादव पर टिकी हैं। क्या वे अपने सांसद के खिलाफ कार्रवाई करेंगे या फिर राजपूत समाज के गुस्से को नजरअंदाज करेंगे? अगर जल्द कोई समाधान नहीं निकला, तो यह विवाद और बड़ा रूप ले सकता है।