राणा के स्वाभिमान को क्षत्रियों ने ही नहीं, पिछड़ों और दलितों ने भी अपनी आन की तरह लिया है।
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राणा के स्वाभिमान को क्षत्रियों ने ही नहीं, पिछड़ों और दलितों ने भी अपनी आन की तरह लिया है।
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