सींच पर्यवेक्षक के पद से नौकरी शुरू करने वाले दिनेश यादव ने भूमि संरक्षण अधिकारी के पद की जिम्मेदारी भी संभाली। उनको खंड विकास अधिकारी सुल्तानगंज, जागीर, किशनी की जिम्मेदारी भी मिली। राजनैतिक रसूख के चलते बाईपास रोड पर फुटपाथ तथा रेलिंग के काम में भ्रष्टाचार करने के आरोप लगे। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रदीप चौहान सहित बसैत के रहने वाले शिवबख्श शाक्य ने कई बार शिकायतें कीं। लेकिन राजनैतिक रसूख के चलते जांच फाइलों में ही दबती रही।
राजनीतिक जानकार बताते हैँ कि रामगंगा कमांड के परियोजना अधिकारी रहे दिनेश यादव का तत्कालीन सरकार में अच्छा खासा रसूख था। सत्तारूढ़ दल के नेताओं से उनके अच्छे रिश्ते थे। उनके खिलाफ की जाने वाली भ्रष्टाचार की शिकायतों पर होने वाली जांच फाइलों में दब जाती थी। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद दोबारा शुरू हुई, जांच में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार करने के मामले में एक रिपोर्ट जनपद गोंडा के थाना तरबगंज में वर्ष 2019 में हो चुकी है।
3.27 करोड़ गबन की आगरा में दर्ज हुई रिपोर्ट
रामगंगा कमांड परियोजना में घोटाले में विजिलेंस आगरा सेक्टर थाना में तत्कालीन भूमि संरक्षण अधिकारी दिनेश कुमार यादव के खिलाफ धोखाधड़ी, सरकारी धन के गबन सहित अन्य आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है। शिकायत के 13 साल बाद शासन के आदेश पर कार्रवाई हुई है।
रामगंगा कमांड परियोजना में विकास कार्यों के लिए मिली 6.45 करोड़ रुपये की धनराशि में से 3.27 करोड़ रुपये की धनराशि हड़प ली। गाजियाबाद की फर्म से निर्माण सामग्री की खरीद दिखाई। बंद ईंट-भट्ठे को भी भुगतान होना दिखाया। फर्जी बिल लगाकर अपनी पत्नी के नाम से बनाई फर्म के खातों में रकम प्राप्त कर ली। उनके खिलाफ वर्ष 2012 में अनियमितताओं की शिकायत पर जांच कराई गई। मगर जांच वर्ष 2015 में स्थगित कर दी गई। फरवरी 2019 में यह जांच विजिलेंस को दी गई। बिना निविदा के विकास कार्य का ठेका अपनी पत्नी शकुंतला के नाम से बनाई फर्म शकुंतला ट्रेडर्स को कर दिया।
गाजियाबाद की रूबी इंजीनियरिंग एंड स्टील से सरिया खरीद की बात सामने नहीं आई। फर्म को कोई भुगतान नहीं किया गया था। पवन ईंट-भट्ठे, बोझी सुमेरपुर, मैनपुरी को 49 लाख रुपये का भुगतान हुआ। यह ईंट-भट्ठा भी वर्ष 2003 में बंद हो चुके थे।
