Muzaffarnagar जनपद में सर्दी के मौसम के साथ गन्ना सीजन की रफ्तार तेज हो चुकी है। और इसी सीजन के साथ सड़कों पर ओवरलोड गन्ने से भरी ट्रॉलियां और विशाल ट्राले बेलगाम दौड़ते नजर आ रहे हैं।
कई दिनों से ग्रामीण लगातार शिकायत कर रहे हैं कि ये ओवरलोड ट्राले और ट्रैक्टर-ट्रॉलियां सड़कों पर चलते हुए जानलेवा हादसों को दावत दे रहे हैं। फिर भी स्थिति सुधारने को लेकर न तो सख्त कार्रवाई दिखी और न ही परिवहन विभाग की ओर से कोई कड़ा कदम।

इसी लापरवाही का खामियाज़ा शनिवार देर रात एक भीषण ramraj accident के रूप में सामने आया, जिसमें एक गन्नों से भरा भारी-भरकम ट्राला बेकाबू होकर एक कार पर पलट गया। इस हादसे में कार सवार दो युवक गंभीर रूप से घायल हो गए।


अचानक पलटा ट्राला, कार पर छाई मौत की परत—चीखें, अंधेरा और हड़कंप

यह दर्दनाक हादसा पुट्ठी इब्राहिमपुर-मेरठ पौड़ी राजमार्ग पर हुआ, जहां सर्द रात में सड़कें अपेक्षाकृत शांत थीं।
कार सामान्य रफ्तार से आगे बढ़ रही थी, तभी साथ से गुजर रहा ओवरलोड गन्नों का ट्राला अचानक अनियंत्रित होकर कार के ऊपर जोरदार धमाके के साथ पलट गया

मौके पर मौजूद कुछ ग्रामीणों ने बताया कि हादसे के समय ऐसा लगा जैसे ट्राले के पलटने की आवाज़ से पूरा क्षेत्र दहल उठा हो।
ट्राले के नीचे कार पूरी तरह दब गई और अंदर फंसे दो युवकों की चीखें सुनाई पड़ने लगीं। लोग मौके की ओर दौड़े और तुरंत पुलिस को सूचित किया।


पुलिस, यूपी-112, मीरापुर थाने और सीओ जानसठ की टीम भारी उपकरण लेकर मौके पर जुटी

घटना की सूचना मिलते ही यूपी-112, थाना रामराज, थाना मीरापुर, और सीओ जानसठ यतेन्द्र सिंह नागर भारी पुलिस बल और रेस्क्यू उपकरणों—क्रेन और जेसीबी—के साथ तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे।

घटना स्थल पर चारों ओर गन्ने बिखरे हुए थे, सड़क जाम हो चुकी थी और कार पूरी तरह दबकर गन्नों के ढेर में खो गई थी।
जैसे-जैसे मिनट बीतते गए, अंदर फंसे दोनों युवकों की स्थिति और गंभीर होती गई।

पुलिस और ग्रामीणों ने मिलकर गन्नों को हटाने की कोशिश शुरू की, लेकिन ट्राले का वजन इतना ज्यादा था कि घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद ही कार तक पहुंच बन सकी।


गन्नों के ढेर के नीचे से निकाले गए घायल युवक—स्थिति गंभीर, जिला अस्पताल रेफर

काफी देर बाद पुलिस ने कार तक रास्ता बनाते हुए अंदर फंसे दोनों घायलों को बाहर निकाला।
घायलों की पहचान—

दोनों को गंभीर चोटें आई थीं और रक्तस्राव भी अधिक था। पहले उन्हें जानसठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) ले जाया गया, जहां उनकी गंभीर हालत को देखते हुए तुरंत जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया।

परिजनों को सूचित कर दिया गया है और दोनों युवा अभी भी गंभीर स्थिति में उपचाराधीन हैं।


सीओ जानसठ का बयान—“ओवरलोड ट्राला कार पर पलटा, पुलिस ने पूरी रात बचाव अभियान चलाया”

मौके पर मौजूद सीओ जानसठ यतेन्द्र सिंह नागर ने कहा:

“रामराज क्षेत्र में गन्नों से भरा ट्राला कार पर पलट गया था। थाना रामराज, थाना मीरापुर और ग्रामीणों की मदद से गन्नों के नीचे दबी कार को निकाला गया। दोनों घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गन्नों को हटाकर राजमार्ग को फिर से चालू करा दिया गया है। तहरीर मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ओवरलोड वाहनों पर जल्द कार्रवाई की जाएगी ताकि ऐसे हादसों पर रोक लग सके।


ओवरलोड गन्ना ट्रॉलियों से बढ़ते हादसे—गन्ना सीजन में सड़कें बनी खतरे का मैदान

गन्ना सीजन के दौरान जब चीनी मिलों की खपत तेजी से बढ़ती है, तब क्षेत्र में हजारों ट्रैक्टर-ट्रॉलियां और बड़े ट्राले चलाए जाते हैं।
इनमें से अधिकांश वाहन खतरनाक तरीके से ओवरलोड होते हैं—

  • ट्रालों पर वजन सीमा से कई गुना अधिक गन्ना

  • ब्रेक सिस्टम कमजोर

  • रात में रिफ्लेक्टर या लाइट नहीं

  • चालकों की थकान

  • सड़क नियमों की अनदेखी

इन्हीं कारणों से हर सीजन में सड़क हादसों में भारी इजाफा हो जाता है।
स्थानीय लोग वर्षों से मांग कर रहे हैं कि प्रशासन ओवरलोड गन्ना वाहनों पर सख्ती लागू करे।

लेकिन ramraj accident ने एक बार फिर इस खतरे को उजागर कर दिया।


स्थानीय ग्रामीणों का आक्रोश—“कब जागेगा प्रशासन?”

हादसे के बाद आसपास के ग्रामीणों ने चिंता ज़ाहिर की।
कई लोगों का कहना है कि:

  • ट्राले रात के समय धड़ल्ले से ओवरलोड चलते हैं

  • सड़कों पर जगह नहीं बचती

  • ओवरलोड ट्राले अनियंत्रित होकर ‘चलती हुई दीवार’ जैसे खतरा बन जाते हैं

  • पुलिस और परिवहन विभाग केवल कागज़ी कार्रवाई करते हैं

ग्रामीणों ने मांग की कि अब तो कम से कम सख्त कदम उठाए जाएं ताकि बेगुनाह लोग इन हादसों का शिकार न बनें।


हाइवे से हटाया गया गन्ना, आवागमन फिर चालू—लेकिन सवाल जस का तस

रातभर के भारी रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद गन्नों को सड़क से पूरी तरह हटाया गया और ट्राला किनारे किया गया।
इसके बाद हाईवे को चालू कराया गया।

लेकिन इस दुर्घटना ने फिर से ये बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि—
क्या ओवरलोड गन्ना ट्राले और ट्रैक्टर-ट्रोलियां यूं ही लोगों की जान जोखिम में डालती रहेंगी?
क्या कार्रवाई तभी होती है जब हादसा हो जाए?
क्या गन्ना सीजन के लिए पुख्ता नियमों की जरूरत नहीं?


रामराज में हुए इस भीषण ramraj accident ने एक बार फिर साबित कर दिया कि ओवरलोड गन्ना ट्राले केवल परिवहन का माध्यम नहीं, बल्कि सड़क पर दौड़ती हुई आपदाएं बन चुके हैं। सुहैल और जुनैद जैसे निर्दोष लोग हर साल इन हादसों का शिकार होते हैं। पुलिस और स्थानीय टीमें रातभर रेस्क्यू में जुटीं, लेकिन असली राहत तभी मिलेगी जब ओवरलोडिंग पर रोक लगे और सड़क नियम सख्ती से लागू हों। फिलहाल दोनों घायल युवकों का इलाज जारी है और प्रशासन जांच में जुटा है।

 



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