RLD is running samrasta abhiyan for Loksabha Election 2024.

रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी।
– फोटो : amar ujala

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राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) समरसता अभियान के सहारे सियासी मिठास पाने की चाहत में है। पार्टी ने यूं तो सभी धर्मों, वर्गों को साथ जोड़ने की बात कहकर अभियान की शुरू की, पर इसका फोकस खास तौर से मुस्लिमों पर है। यह भविष्य को पुख्ता करने की भी कवायद है ताकि यदि लोकसभा चुनाव तक सपा से राह अलग हो तो मुस्लिम उसके साथ ही रहें।

2022 में सपा व रालोद ने विधानसभा चुनाव साथ लड़ा था। भले ही यह गठबंधन सत्ता के सोपान तक न पहुंच पाया हो पर रालोद को तो इसका लाभ ही हुआ। वह एक सीट से बढ़कर आठ तक पहुंच गया। बाद में खतौली उपचुनाव जीतकर संख्या नौ पहुंच गई। हाल ही में हुए नगर निकाय चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों में मनमुटाव हुए तो कई जगह सपा व रालोद ने अपने अपने प्रत्याशी उतार दिए। रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने निकाय चुनाव में न तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ मंच साझा किया और न ही साथ में प्रचार में किया। हालांकि बाद में दोनों ने कहा कि क्षेत्रीय चुनाव में कार्यकर्ताओं को लड़ने की छूट दी गई थी।

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अब निगाह खास वोटरों पर

मुस्लिमों को सपा का मजबूत वोटर माना जाता है। पश्चिमी उप्र में मुजफ्फरनगर दंगे से पहले रालोद के साथ यही स्थिति थी। मुस्लिम वोटर उसके साथ थे। इसके बाद जाट मुस्लिम समीकरण बिखरा तो सपा-रालोद गठबंधन ने फिर से जोड़ने की कोशिश की। अब रालोद थिंक टैंक को लग रहा है कि यदि लोकसभा चुनाव 2024 तक उनका सपा से गठबंधन टूटा तो स्थिति फिर खराब हो सकती है। ऐसे में पार्टी कोई चूक नहीं करना चाहता है। यही कारण है कि उसने समरसता अभियान चलाया है। हालांकि पार्टी की ओर से कहा गया कि यह अभियान सभी जाति, धर्म एवं समाज के हर वर्ग को जोड़ने के लिए है, पर असल उद्देश्य कुछ और ही है।

तीन चरण में अभियान

अभियान का पहला चरण पूर्व मंत्री स्व. चौधरी अजित सिंह के जन्मदिन 12 फरवरी से शुरू किया गया था। 19 मई से शुरू दूसरा चरण को जून मध्य तक ले जाने की बात कही जा रही है। तीसरा चरण जुलाई में शुरू करने की तैयारी है। इसके तहत जयंत चौधरी ने 100 से ज्यादा गांवों को अपने लिए रखा है।

कांग्रेस से नजदीकियों की चर्चा

कहा जा रहा है कि लोकसभा में रालोद और कांग्रेस साथ आ सकते हैं। कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद यह चर्चा और पुख्ता हो रही है। रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी कहते हैं कि कांग्रेस के साथ राजस्थान में तो रालोद खड़ी ही है। भरतपुर में रालोद के विधायक का कांग्रेस को समर्थन है। ऐसे में किसी से कोई गुरेज थोड़े ही है। वैसे भी अभी सपा रालोद का सबसे मजबूत गठबंधन है और बाकी को इसके पीछे चलना चाहिए।

बैठक से लेकर पंचायत, सभा तक

अभियान में छोटी बैठकों से लेकर पंचायतें और सभाएं हो रही हैं। गांव गांव टीमें जा रही हैं। युवा विंग को हर वर्ग के युवाओं को कार्यक्रमों में लाने की जिम्मेदारी है। बड़ी सभाओं में जयंत खुद जा रहे हैं। अधिकतर सभाओं में वह कह रहे हैं कि हिंदू मुस्लिम एक हैं। मुल्क सभी का है। गलतफहमियां दूर कर सभी को आगे बढ़ना चाहिए।



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