चीन के मांझा से अब बिजली के तारों को नुकसान नहीं पहुंचेगा। इससे निपटने के लिए बिजली निगम ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए 11 केवी (11 हजार वोल्ट) की हाईटेंशन लाइन के उन खुले तारों को बदला जाएगा, जिन पर पतंग की डोर उलझने से 1200 से 2500 उपभोक्ताओं की बिजली गुल हो जाती है।

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस तरह का कार्य हो चुका है। अब राजधानी में केंद्र सरकार की रिवैम्प डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत खुले तारों को इंसुलेटेड केबल से बदला जाएगा। योजना में कई अन्य कार्य भी होंगे जिस पर अनुमानित 1800 करोड़ रुपये खर्च होंगे। आधुनिकीकरण की इस योजना में निर्बाध बिजली आपूर्ति से जुड़े कार्य कराएं जाएंगे। इसमें 11 एवं 22 केवी तारों के लिए रिंग मेंस यूनिट (आरएमयू) भी स्थापित किए जाएंगे।

11 केवी ओवरहेड लाइनों का चल रहा सर्वे

केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने के लिए अमौसी, लखनऊ मध्य, जानकीपुरम, गोमतीनगर उपकेंद्रों की उन 11 केवी ओवरहेड लाइनों का सर्वे चल रहा, जहां पर अक्सर ही धातु के तार या चीन के मांझा से बंधी पतंगें कहर ढाती हैं। यह उपकेंद्र फैजुल्लागंज, दाउदनगर, प्रियदर्शिनी, अहिबरनपुर, डालीगंज इक्का स्टैंड, मेडिकल कॉलेज, विक्टोरिया चौक, नादान महल रोड, चौपटिया, नींबू पार्क, गऊघाट, आजादनगर, ऐशबाग, रेलवे पावर हाउस, चंदरनगर, उतरेटिया, सर्वोदयनगर, एचएएल, इंदिरानगर सेक्टर-14 व भीखमपुर आदि हैं।



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