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तमाम कोशिश और दावों के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय के डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स का भाग्य इस साल भी नहीं बदल सका। यहां तक कि इस साल शुरू हुए तंत्र, कर्मकांड और डाटा एनालसिस जैसे पाठ्यक्रम भी विद्यार्थियों का ध्यान आकर्षित नहीं कर सके। विवि ने 41 डिप्लोमा-सर्टिफिकेट कोर्सों में आवेदन मांगे थे, जिनमें से सिर्फ सात को विद्यार्थी नसीब हुए।
लविवि में स्नातक और परास्नातक के अलावा डिप्लोमा-सर्टिफिकेट कोर्स भी चलते हैं। इनमें से कुछ पाठ्यक्रम रेग्युलर हैं। ऐसे में कम दाखिले पर भी इनका संचालन होता है। सेल्फ फाइनेंस के डिप्लोमा-सर्टिफिकेट कोर्स का 60 फीसदी सीटें भरने पर ही संचालन होता है। ज्यादातर पाठ्यक्रम में सीटों के मुकाबले इतने आवेदन नहीं आए। जिनमें आवेदन आए भी, उनमें फीस नहीं जमा हो सकी। ऐसे में 60 फीसदी से कम दाखिले होने पर इनका संचालन बंद करना पड़ रहा है।
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इनका पाठ्यक्रमों का हो सका संचालन
गर्भ संस्कार, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड सोशल ड्यूटीज, ट्रांसलेशन, अरेबिक, योगा और डिजास्टर रिलीफ एंड रिहैबिलिटेशन।
परंपरा, प्राचीन और आधुनिकता के तालमेल की थी कोशिश
लविवि ने विद्यार्थियों को परंपरा और प्राचीनता के साथ आधुनिकता पर आधारित पाठ्यक्रमों में पढ़ने का मौका देने के लिए इस साल कई नए कोर्स शुरू किए थे। इनमें पालि, प्राकृत और तंत्रागम, कर्मकांड जैसे प्राचीन पाठ्यक्रम तो दूसरी और डाटा एनालसिस, साइबर सिक्योरिटी जैसे आधुनिक पाठ्यक्रम भी शामिल थे। इसके बावजूद विद्यार्थियों ने पाठ्यक्रमों को सिरे से नकार दिया।
इन पाठ्यक्रमों के लिए मांगे थे आवेदन
सर्टिफिकेट कोर्स- प्रोफिसिएंशी इन फ्रेंच रेग्युलर, प्रोफिसिएंशी इन फ्रेंच सेल्फ फाइनेंस।
डिप्लोमा- अरेबिक, प्रोफिसिएंशी इन फ्रेंच रेग्युलर, प्रोफिसिएंशी इन फ्रेंच सेल्फ फाइनेंस, तमिल, डाटा एनालसिस विद स्टैटिकल पैकेज फॉर सोशल साइंसेज।
एडवांस डिप्लोमा- अरेबिक, क्लीनिकल न्यूट्रीशन एंड डायटिक्स, फ्रेंच- रेग्युलर, फ्रेंच-सेल्फ फाइनेंस, तमिल।
पीजी डिप्लोमा- राइट टू इंफॉर्मेशन, एस्थेटिक एंड संस्कृत थियेटर, आर्कियोलॉजी एंड म्यूजियलॉजी, डिजास्टर रिलीफ एंड रिहैबिलिटेशन, गर्भ संस्कार, एचआईवी एड्स एंड फेमिली लाइफ एजूकेशन, लिंग्वस्टिक, पाली, प्राकृत, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, रीप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ, संस्कृत, सोशल ड्यृटीज एंड ह्यूमन राइट्स, तंत्रागम, ट्रांसलेशन, कर्मकांड, इपिडेमोलॉजी एंड बायोस्टेक्सि, एक्सप्लोरेशन रिसोर्स एंड माइनिंग टेक्नोलॉजी, इंफॉर्मेशन एंड साइबर सिक्योरिटी, रिमोट सेंसिंग एंड जीआईएस, योगा, बायोडायवर्सिटी वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन एंड मैनेजमेंट।
प्रोफिसिएंशी- अरेबिक, पालि, पर्शियन, प्राकृत, संस्कृत, तमिल, उर्दू।
अभी नहीं मांगा पाठ्यक्रमों का ब्योरा
लविवि के प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव का कहना है कि विभागों से संचालित होने वाले पाठ्यक्रमों का ब्योरा अभी नहीं मांगा है। संभव है कि विद्यार्थियों को नए पाठ्यक्रमों के बारे में जानकारी नहीं हो। आने वाले दिनों में इनकी ओर विद्यार्थियों का रुझान बढ़ेगा।