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भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले क्षेत्रवार दलित जातियों को जोड़ने का अभियान चलाएगी। पहले चरण में अक्तूबर में सभी छह संगठनात्मक क्षेत्रों में अनुसूचित जाति सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। प्रदेश में लोकसभा की 17 सीटें आरक्षित हैं। इनमें से नगीना व लालगंज बसपा के पास हैं। बुलंदशहर, हाथरस, आगरा, शाहजहांपुर, हरदोई, मिश्रिख, मोहनलालगंज, इटावा, जालौन, कौशांबी, बाराबंकी, बहराइच, बासगांव, मछलीशहर और राबर्ट्सगंज भाजपा गठबंधन के पास है। वहीं, विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा गठबंधन ने अनुसूचित जाति के 86 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। इस तरह आरक्षित से ज्यादा सीटों पर दलितों को मौका दिया। इनमें से 63 उम्मीदवार चुनाव जीते थे। पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनाव में सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य दलित वर्ग के 50 फीसदी वोट प्राप्त किए बिना हासिल नहीं किया जा सकता है।
बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद पार्टी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दलितों के बीच जनाधार बढ़ाने के लिए मिशन मोड पर काम शुरू किया है। अवध, काशी, गोरखपुर, कानपुर-बुंदेलखंड, पश्चिम और ब्रज क्षेत्र में करीब एक-एक लाख दलितों के सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इस संबंध में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने बुधवार को वाराणसी में काशी क्षेत्र की और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने हापुड़ में पश्चिम क्षेत्र की बैठक की।
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सूत्रों के मुताबिक पार्टी का खास जोर बसपा के जाटव वोट बैंक में सेंध लगाने पर रहेगा। इसके लिए पार्टी के जाटव नेताओं व मंत्रियों को कमान सौंपी गई है। पश्चिम क्षेत्र में जाटव, धोबी और खटीक समाज को जोड़ने पर जोर रहेगा। अवध में पासी और कोरी समाज के घर-घर दस्तक दी जाएगी। बुंदेलखंड में कोरी व धोबी और पूर्वांचल में सोनकर, पासवान, पासी व जाटव समाज के लिए रणनीति बनाई है।
इनके कंधों पर रहेगी कमान
चुनाव में दलित वर्ग को साधने की जिम्मेदारी योगी सरकार के दलित मंत्रियों और पार्टी के अनुसूचित जाति वर्ग से जुड़े पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। मंत्री व पदाधिकारी को उनकी जाति से जुड़े क्षेत्रों में लोगों को जोड़ने का जिम्मा सौंपा गया है।
एससी आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों के पद खाली
भाजपा दलित वर्ग को साधने का प्रयास कर रही है लेकिन प्रदेश में अनुसूचित जाति आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों का पद लंबे समय से खाली है। इसके कारण एससी से जुड़े मामलों की सुनवाई में विलंब हो रहा है।
विधान परिषद और संगठन में कम है हिस्सेदारी
विधान परिषद में भाजपा के 81 सदस्यों में से मात्र चार विद्यासागर सोनकर, निर्मला पासवान, सुरेंद्र चौधरी और लालजी निर्मल दलित वर्ग से हैं। वहीं, संगठन में भी 98 संगठनात्मक जिलों में से महज पांच में दलित जिलाध्यक्ष हैं।