Muzaffarnagar इतिहास की एक अविस्मरणीय घड़ी तब बनी, जब जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ का गायन कर पूरे कलेक्ट्रेट भवन को देशभक्ति की भावना से भर दिया। 7 नवंबर 2025 का दिन इस बात का प्रतीक बना कि भारत की आत्मा अब भी ‘वंदे मातरम्’ के स्वरों में धड़कती है।

इस अवसर पर उपस्थित सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक स्वर में गीत को दोहराया, जिससे पूरा परिसर देशभक्ति के उत्साह से गूंज उठा। जिला पंचायत सभागार में हुए इस समारोह का मुख्य आकर्षण था राष्ट्रगीत का सामूहिक वाचन, जिसके बाद वातावरण में गूंज उठा – “वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!”


बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय और वंदे मातरम् की ऐतिहासिक गूंज

यह दिन बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित अमर गीत ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मनाया गया। वर्ष 1875 में रचित यह गीत भारत की आज़ादी की भावना का आधार बना।
‘वंदे मातरम्’ न केवल एक गीत है, बल्कि यह भारतीय स्वाधीनता संग्राम की आत्मा रहा है। 1763 से 1800 तक चले संन्यासी विद्रोह से प्रेरित ‘आनंदमठ’ उपन्यास (1882) में जब यह गीत पहली बार प्रकट हुआ, तब यह लोगों के दिलों में आज़ादी की ज्वाला बनकर फैल गया।

भारतीय संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को इसे ‘राष्ट्रीय गीत’ के रूप में मान्यता दी — एक ऐसा गीत जो आज भी हर भारतीय की आत्मा को झंकृत करता है।


मुजफ्फरनगर में उमड़ा उत्साह: हर स्कूल, हर विभाग में गूंजा ‘वंदे मातरम्’

जिले के हर शैक्षणिक संस्थान— बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा के स्कूल-कॉलेजों में राष्ट्रगीत आधारित सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रमों की झड़ी लगी रही।
बच्चों ने रंगोली प्रतियोगिता, पोस्टर मेकिंग, निबंध लेखन और नृत्य-गायन के माध्यम से राष्ट्रप्रेम का संदेश दिया। शिक्षकों ने विद्यार्थियों को बताया कि किस तरह वंदे मातरम् ने आज़ादी के दौर में हर भारतवासी को एकजुट किया।

कलेक्ट्रेट भवन में हुए आयोजन में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व गजेंद्र कुमार, अपर जिलाधिकारी प्रशासन संजय कुमार सिंह, जिला प्रवेश अधिकारी संजय कुमार, नगर मजिस्ट्रेट पंकज प्रकाश राठौड़ सहित सभी अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।
सभी ने मिलकर राष्ट्रगीत के हर शब्द को श्रद्धा और गर्व के साथ दोहराया।


प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के संदेश के बाद बढ़ी देशभक्ति की लहर

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विशेष संबोधन का सीधा प्रसारण भी सभागार में किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि “वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, यह हमारी सभ्यता, संस्कृति और स्वाभिमान का प्रतीक है।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि आने वाली पीढ़ियों को इस गीत की ऐतिहासिक और भावनात्मक महत्ता से अवगत कराना हर नागरिक का कर्तव्य है।

इन संदेशों के बाद जब जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने स्वर छेड़ा — “वंदे मातरम्”, तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।


राष्ट्रगीत से जुड़ी रोचक बातें और जनमानस में इसका प्रभाव

‘वंदे मातरम्’ शब्दों का अर्थ है “माँ, मैं तुझे प्रणाम करता हूँ”।
यह गीत माँ भारती की उस करुणा और शक्ति का प्रतीक है, जिसने करोड़ों भारतीयों को आज़ादी की लड़ाई में प्रेरित किया।
1905 के बंगाल विभाजन के समय यह गीत स्वदेशी आंदोलन का नारा बन गया था।
यहां तक कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस से लेकर महात्मा गांधी तक, हर महान नेता ने इसे अपने आंदोलन का अभिन्न हिस्सा बनाया।

आज भी जब यह गीत किसी समारोह में गूंजता है, तो हर भारतीय के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह गीत हमें याद दिलाता है कि हमारी जड़ें संस्कृति, एकता और मातृभूमि के प्रति समर्पण में गहरी हैं।


मुजफ्फरनगर में राष्ट्रगीत का नवप्रेरणादायी रूप

इस वर्ष का आयोजन केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि राष्ट्रप्रेम के नव जागरण का प्रतीक था।
विभिन्न विद्यालयों में छात्रों ने ‘वंदे मातरम् पर आधारित नाटक’, देशभक्ति गीत प्रतियोगिता, और स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी प्रस्तुति के माध्यम से देश के प्रति सम्मान व्यक्त किया।

कलेक्ट्रेट परिसर में राष्ट्रीय ध्वज के साथ सजाए गए मंच पर अधिकारी और कर्मचारी पारंपरिक परिधानों में पहुंचे। तिरंगे गुब्बारों और फूलों से सजी सजावट ने माहौल को और अधिक देशभक्ति से भर दिया।


महिलाओं और युवाओं की भागीदारी ने आयोजन को बनाया यादगार

इस आयोजन में महिला कर्मचारियों और युवा प्रतिभागियों की सक्रिय उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष बना दिया। युवा वर्ग ने राष्ट्रगीत पर समूह नृत्य प्रस्तुत कर यह संदेश दिया कि नई पीढ़ी भारत की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने युवाओं से कहा, “वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह हर भारतीय के भीतर की प्रेरणा है। हमें इसे हर दिन जीना चाहिए।”


भारत की एकता का प्रतीक: वंदे मातरम् की आवाज़ सदियों तक अमर

आज जब तकनीकी युग में दुनिया तेज़ी से बदल रही है, तब भी ‘वंदे मातरम्’ की गूंज भारतीयों के दिलों में पहले जैसी ही है। यह गीत हमें याद दिलाता है कि धर्म, जाति या भाषा से ऊपर उठकर, हम सभी एक माँ – भारत माता – के संताने हैं।

मुजफ्फरनगर जैसे शहरों में इस प्रकार के आयोजन भारत की लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक एकता को और अधिक सशक्त बनाते हैं।


“वंदे मातरम् की यह गूंज केवल एक समारोह नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा की पुकार है।” जिलाधिकारी उमेश मिश्रा और समस्त अधिकारियों के नेतृत्व में मुजफ्फरनगर ने दिखाया कि जब देशभक्ति दिल से जुड़ती है, तो हर आवाज़ ‘वंदे मातरम्’ बन जाती है।

 



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