मुजफ्फरनगर: मुजफ्फरनगर के Charthawal थाना क्षेत्र के निकटवर्ती गाँव कुल्हैड़ी में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब विद्युत विभाग में संविदाकर्मी लाइनमैन नफीस अचानक एक विद्युत लाइन की चपेट में आकर बुरी तरह से झुलस गया। नफीस (उम्र 40 वर्ष), जो कुल्हैड़ी का निवासी है, चरथावल के समीप स्थित बिजलीघर पर ट्रांसफार्मर की मरम्मत कर रहा था। अचानक हुए इस हादसे ने गाँव वालों और किसान संगठनों में आक्रोश फैला दिया, जिसके परिणामस्वरूप धरना प्रदर्शन शुरू हो गया।

हादसे की जानकारी और उपचार की प्रक्रिया

घटना के तुरंत बाद ग्रामीणों ने विद्युत विभाग को सूचित किया। विभाग के कर्मी तत्काल मौके पर पहुंचे और नफीस को आनन-फानन में चरथावल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) भेजा गया। चिकित्सकों ने उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे जिला अस्पताल भेजने का निर्णय लिया। यहाँ भी नफीस की हालत में सुधार नहीं होने पर उसे मेरठ ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया, जहाँ उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।

किसानों का आक्रोश और धरना प्रदर्शन

घटना के बाद, ग्रामीणों और किसान संगठनों में भारी नाराजगी देखी गई। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के कार्यकर्ताओं ने विद्युत विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए तत्काल उच्च अधिकारियों को मौके पर बुलाने की मांग की। धरने का नेतृत्व भाकियू के प्रमुख नेता विकास शर्मा, आशीष कुल्हैड़ी, सौरभ त्यागी और संजय त्यागी ने किया। मौके पर सैकड़ों ग्रामीण भी इकट्ठा हुए और अधिकारियों की उपस्थिति के बिना धरना समाप्त न करने की घोषणा की।

समाचार लिखे जाने तक धरना जारी था, और प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अडिग थे। उनका कहना है कि जब तक विद्युत विभाग के उच्च अधिकारी आकर इस मामले में स्थिति स्पष्ट नहीं करते और सुरक्षा उपायों पर ध्यान नहीं देते, वे धरना जारी रखेंगे।

हादसों का सिलसिला और बिजली विभाग की लापरवाही

यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी विद्युत कर्मी के साथ ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ हो। विद्युत विभाग के कर्मियों की सुरक्षा और प्रशिक्षण की कमी लगातार चिंता का विषय बनी हुई है। देश के कई हिस्सों में ऐसी घटनाएँ अक्सर होती रहती हैं, जब विद्युत लाइन की मरम्मत के दौरान कर्मी दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।

हाल के वर्षों में, बिजली विभाग की लापरवाही के कारण दुर्घटनाओं का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। संविदाकर्मी, जो अक्सर स्थाई कर्मचारियों की तुलना में कम प्रशिक्षण और संसाधन प्राप्त करते हैं, इस प्रकार की दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं। सरकार और विभागों द्वारा बार-बार वादे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर सुधारों की कमी और उचित सुरक्षा उपायों का न होना बड़े हादसों का कारण बनता है।

बिजली विभाग पर लग रहे आरोप

धरने पर बैठे किसानों और ग्रामीणों ने विद्युत विभाग पर सीधा आरोप लगाया कि नफीस को उचित सुरक्षा उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान नहीं किया गया था। किसानों का कहना था कि अगर विभाग ने सुरक्षा नियमों का पालन किया होता तो यह हादसा नहीं होता।

भारतीय किसान यूनियन के नेता विकास शर्मा ने कहा, “यह कोई साधारण दुर्घटना नहीं है, यह विद्युत विभाग की घोर लापरवाही का परिणाम है। हम मांग करते हैं कि न केवल पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए, बल्कि ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त नियम भी लागू किए जाएं।”

किसानों का यह भी कहना था कि अगर अधिकारियों द्वारा त्वरित कार्रवाई नहीं की गई तो वे अपने आंदोलन को और बड़े पैमाने पर ले जाएंगे। उनका कहना था कि यह केवल नफीस का मामला नहीं है, बल्कि अन्य विद्युत कर्मियों की सुरक्षा का भी सवाल है।

विद्युत कर्मियों के लिए सुरक्षा उपायों की कमी

विद्युत विभाग में काम करने वाले संविदाकर्मियों और स्थायी कर्मचारियों के बीच अंतर भी इस मामले में उभरकर सामने आया है। संविदाकर्मी अक्सर स्थायी कर्मचारियों की तुलना में अधिक जोखिम उठाते हैं, जबकि उन्हें कम सुविधाएँ और संसाधन दिए जाते हैं। यह अंतर विभागीय नीति और सरकारी योजनाओं में बदलाव की आवश्यकता को दर्शाता है।

देश के कई हिस्सों में इसी तरह की घटनाएँ होती रही हैं। केरल, महाराष्ट्र, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी विद्युत कर्मियों के हादसों की खबरें सामने आती रही हैं। इन हादसों में विभाग की लापरवाही और कर्मियों के पास उचित उपकरण न होना आम कारण बताया जाता है।

विद्युत कर्मियों के लिए आवश्यक सुरक्षा उपकरण जैसे इंसुलेटेड दस्ताने, हेलमेट, और बूट का उपयोग अनिवार्य किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, विद्युत लाइनों की मरम्मत के दौरान उचित प्रशिक्षण और सुरक्षा मानकों का पालन किया जाना चाहिए। लेकिन, इन उपायों की कमी के कारण कई परिवार अपने सदस्यों को खो चुके हैं या उन्हें गंभीर चोटों का सामना करना पड़ा है।

सरकार और विभाग से मांगें

धरने पर बैठे किसानों और विद्युत कर्मियों ने सरकार से निम्नलिखित प्रमुख मांगें रखी हैं:

  1. विद्युत कर्मियों के लिए सुरक्षा मानकों का सुधार: विद्युत कर्मियों के लिए सुरक्षा उपकरणों का अनिवार्य वितरण किया जाए और उनके उपयोग को सुनिश्चित किया जाए।
  2. संविदाकर्मियों के लिए समान सुविधाएँ: संविदाकर्मियों को स्थायी कर्मचारियों के बराबर सुरक्षा और सुविधाएँ प्रदान की जाएं।
  3. उचित मुआवजा: हादसे में झुलसे नफीस और उनके परिवार को तुरंत मुआवजा दिया जाए और चिकित्सा सहायता प्रदान की जाए।
  4. हादसों की रोकथाम: विभाग द्वारा एक विशेष समिति गठित की जाए, जो ऐसे हादसों की जाँच करे और भविष्य में उन्हें रोकने के उपाय सुझाए।

 

विद्युत विभाग के हादसे न केवल कर्मियों के जीवन को खतरे में डालते हैं, बल्कि समाज में आक्रोश और असंतोष को भी जन्म देते हैं। चरथावल का यह मामला इस बात की ओर इशारा करता है कि विभागीय सुधारों की तत्काल आवश्यकता है। किसान संगठनों और स्थानीय नागरिकों द्वारा किया गया प्रदर्शन इस हादसे के प्रति उनकी चिंता और विभाग की लापरवाही के प्रति उनके आक्रोश को दर्शाता है। सरकार और विभाग को इन समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और कर्मियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।



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