Chief Minister Yogi said, there is no plan to conduct caste census in the state

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
– फोटो : amar ujala

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विधानसभा में सरकार ने साफ किया है कि प्रदेश में जातीय जनगणना कराने की कोई योजना नहीं हैं। विधानसभा में सपा विधायक संग्राम सिंह यादव ने बृहस्पतिवार को तारांकित प्रश्न के जरिये जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया। हालांकि प्रश्नकाल स्थगित होने के कारण इस मुद्दे पर सदन में चर्चा नहीं हो सकी। लेकिन प्रश्न के लिखित जबाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जातीय जनगणना कराने की योजना नहीं है। जनगणना कराना भारत सरकार की ओर से किया जाता है।

जातीय जनगणना पर चर्चा की मांग को लेकर सपाइयों का विधान परिषद में हंगामा

जातीय जनगणना पर चर्चा कराने मांग को लेकर सपाइयों ने विधान परिषद में जमकर हंगामा किया। नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने साफ कह दिया कि जातीय जनगणना कराना राज्य का नहीं, बल्कि केंद्र का विषय है। उन्होंने तंज कसा कि चार बार सत्ता में रहकर सपाई कुंभकर्णी नींद सोते रहे। सत्ता से बेदखल होकर दिन में तारे दिखे तो जातीय जनगणना की याद आई।

नियम 105 के तहत सपा सदस्य नरेश चंद्र उत्तम, स्वामी प्रसाद मौर्य, लाल बिहारी यादव, आशुतोष सिन्हा, डा. मानसिंह यादव, शहनवाज खान, मुकुल यादव और मो.जासमीर अंसारी ने सूचना लगाई थी। शाहनवाज खान, नरेश चंद्र उत्तम एवं स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस पर चर्चा कराने की पुरजोर मांग की। कहा कि सन 1865, 1872 में जातीय जनगणना हुई। इसके बार 1881, 1891, 1901, 1911, 1921, 1931 व 1941 में जातिवार गणना हुई। सपा की मांग पर 2011 में भी जातीय जनगणना हुई पर भाजपा सरकार ने इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए। हैरत की बात यह है कि जनगणना कराने के फार्म में एससी के उल्लेख तो कॉलम है पर ओबीसी का नहीं। उन्होंने सदन की कार्यवाही रोककर इस पर चर्चा कराए जाने की मांग की। कहा कि केवल ओबीसी ही नहीं, बल्कि सभी जातियों की गणना कराने से भी सपा को कोई गुरेज नहीं है।

2047 तक वापसी नहीं

इस पर नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह छटपटाहट सत्ता से जाने की है। जातीय जनगणना से इनका कोई लेना देना नहीं है। यह जान लें कि वर्ष 2047 तक इनकी वापसी नहीं है। यह सिर्फ 2024 का एजेंडा सेट कर रहे हैं। सपाइयों ने कुछ का साथ कुछ का विकास किया जबकि भाजपा सबका साथ सबका विकास पर काम कर रही है। इस पर सपाइयों ने हंगामा शुरू कर दिया और वेल में आकर बैठ गए। सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने समझाया पर जब सपाई नहीं माने तो उन्होंने 15 मिनट के लिए सदन स्थगित कर दिया।

 



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