
बसपा सुप्रीमो मायावती।
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चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे बहुजन समाज पार्टी की उम्मीदों से इतर आए हैं। राजस्थान में पिछले बार छह सीटें जीतने वाली बसपा को इस बार यहां महज दो सीटों से संतोष करना पड़ा है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में गोण्डवाना गणतंत्र पार्टी से गठबंधन के बावजूद उसे निराशा ही हाथ लगी है। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा को राजस्थान में छह, मप्र में दो और छत्तीसगढ़ में दो सीटें मिली थीं। हालांकि तीनों राज्यों में बसपा को सपा से अधिक वोट मिले हैं।
बसपा ने अपना जनाधार बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में अपने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा था। पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद बीते कई महीनों से छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बसपा संगठन को मजबूत करने के लिए लगातार जनसभाएं कर रहे थे। बसपा सुप्रीमो मायावती ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से गठबंधन कर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सियासत में बड़ा परिवर्तन करने और किंगमेकर की भूमिका में आने की रणनीति बनाई थी। जबकि राजस्थान और तेलंगाना में अपने दम पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था।
गठबंधन में आई एक सीट, लेकिन वोट प्रतिशत भी हुआ कम
राजस्थान में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने 4.08 प्रतिशत वोट हासिल करते हुए छह सीटें जीती थी। हालिया चुनाव में उसे 1.82 प्रतिशत वोट के साथ महज दो सीटें ही मिली हैं। सादुलपुर से पार्टी प्रत्याशी मनोज कुमार और बारी सीट से जसवंत सिंह गुर्जर ने जीत हासिल की है। मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने 5.01 प्रतिशत वोट हासिल करते हुए दो सीटों पर जीत का परचम लहराया था। इस बार मध्य प्रदेश में उसे 3.35 प्रतिशत वोट ही मिले सके और कोई भी सीट उसके हिस्से में नहीं आई। छत्तीसगढ़ चुनाव में उसे 2.07 प्रतिशत वोट मिले हैं और गठबंधन में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के तुलेश्वर हीरा सिंह की जीत के रूप मेंं एक सीट मिली है। पिछली बार यहां उसे दो सीटें हासिल हुई थी। तेलंगाना में बसपा को 1.38 प्रतिशत हासिल हुआ, जो कोई सीट जिताने में कारगर साबित नहीं हो सका।
बसपा से कम वोट मिला सपा को (प्रतिशत में)
राज्य बसपा सपा
मध्य प्रदेश 3.35 0.46
राजस्थान 1.82 0.01
छत्तीसगढ़ 2.07 0.04