उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित विधान परिषद में शुक्रवार को सपा सदस्यों ने शिक्षा के गिरते स्तर को लेकर वॉकआउट किया। उन्होंने स्कूलों को बंद करने, शिक्षकों की कमी और शिक्षामित्रों की स्थिति पर चिंता जताई। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने आरोपों को बेबुनियाद बताया। कहा कि सरकार शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। निपुण विद्यालयों की व्यवस्था को भी उन्होंने सामने रखा।

सपा के डॉ. मान सिंह यादव ने कार्य स्थगन प्रस्ताव के जरिये कहा कि शराब की दुकानों पर सरकार ने कम्पोजिट व्यवस्था लागू की तो उससे सरकार को फायदा हुआ। यही व्यवस्था स्कूलों पर लागू करके तमाम विद्यालय बंद कर दिए, जिससे गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। अब शिक्षा आयोग में भी भर्ती में गड़बड़ियां करने के लिए सेवानिवृत्त डीजीपी को इसका अध्यक्ष बना दिया गया है।

2022 में चयनित शिक्षकों को अभी तक नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया

सपा के ही आशुतोष सिन्हा ने कहा कि आरटीई लागू होने से पहले जिन शिक्षकों की नियुक्ति हुई, उनसे भी टीईटी पास करने के लिए कहा जा रहा है, जोकि अनुचित है। नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव ने कहा कि आठ लाख बच्चे स्कूलों से बाहर हो गए हैं। 2022 में चयनित शिक्षकों को अभी तक नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया है।

बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि एक भी स्कूल बंद नहीं किया गया है। सिर्फ 50 से कम संख्या वाले स्कूलों का मर्जर किया गया है। 65 फीसदी विद्यालयों में फर्नीचर है। 32 हजार स्कूलों में स्मार्ट क्लास है। 48 हजार से अधिक विद्यालय निपुण की श्रेणी में आ गए हैं।

निर्दल समूह ने शिक्षकों की समस्याओं को उठाया

निर्दल समूह के राजबहादुर सिंह चंदेल ने कार्यस्थगन प्रस्ताव के माध्यम से सोनभद्र के ओबरा इंटर कॉलेज में शिक्षकों के वेतन भुगतान संबंधी समस्याओं को उठाया। जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि यह विद्यालय राज्य विद्युत बोर्ड चलाता है और कभी राजकीय विद्यालय नहीं रहा। इसलिए इन शिक्षकों को अन्य सरकारी विद्यालयों में समायोजित किए जाने की कोई व्यवस्था नहीं है।



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