
सदन की कार्यवाही (फाइल फोटो)
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विधान परिषद में शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के मुद्दे पर सपा सदस्यों ने वॉकआउट किया। वे शिक्षामित्रों के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग कर रहे थे। हालांकि, बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि फिलहाल मानदेय बढ़ाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
सपा के डॉ. मान सिंह यादव ने कहा कि कम मानदेय के कारण करीब 9 हजार शिक्षामित्र आत्महत्या कर चुके हैं। भाजपा के सुरेंद्र चौधरी ने कहा कि यह आंकड़ा भरोसेमंद नहीं है। इस पर सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने कहा कि डॉ. मान सिंह यादव जानकारी का स्रोत प्रस्तुत करें। अगर यह जानकारी ठीक न हो तो सदन में कही अपनी बात वापस ले लें।
अपने जवाब में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि नियुक्ति की प्रकृति एवं शर्तें भिन्न होने के कारण कार्य भी अलग-अलग हैं। इसलिए शिक्षामित्रों की अन्य सहायक अध्यापकों से तुलना करना औचित्यपूर्ण नहीं है। भाजपा के सदस्य अशोक कटारिया ने कहा कि दोनों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी अलग-अलग है। इस मुद्दे पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी बहस हुई। उसके बाद सपा सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
ग्राम पंचायत सदस्यों को हमारी सरकार ने शुरू किया मानदेय
बसपा के भीमराव अंबेडकर ने ग्राम पंचायत सदस्यों का मानदेय काफी कम होने का मुद्दा उठाया। नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि हमारी सरकार ने ही मानदेय देना शुरू किया है। तात्कालिक रूप से मानदेय बढ़ाने का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। शिक्षक दल के राजबहादुर सिंह चंदेल ने उन्नाव में हैंडपंप लगाए जाने का मामला उठाया। सपा के लाल बहादुर सिंह यादव ने माध्यमिक विद्यालयों के अंशकालिक शिक्षकों को पूर्णकालिक का दर्जा दिए जाने का मुद्दा रखा। माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि इस मामले पर विचार किया जाएगा। सपा के नरेश चंद्र उत्तम ने दैवीय आपदा में सहायता की निर्धारित दरों की जानकारी चाही।
पति-पत्नी के स्थानांतरण के नियमों में दूर की जाएं विसंगतियां
विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने कहा कि प्राथमिक शिक्षकों की स्थानांतरण नीति में पति-पत्नी के स्थानांतरण के नियमों में सरकार विसंगतियां दूर करे। पति-पत्नी में से किसी एक के शिक्षा विभाग और दूसरे के किसी अन्य विभाग में कार्यरत होने पर किसी जिले में उन्हें दापंत्य नीति का लाभ दिया गया तो कहीं नहीं दिया गया।
भाजपा के देवेंद्र प्रताप सिंह ने यह मामला सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी, दोनों में से किसी एक के अन्य सरकारी या अर्ध सरकारी विभाग में कार्यरत होने पर इस सुविधा का लाभ नहीं दिया गया। दांपत्य नीति के अंतर्गत राजकोष से वेतन लेने वाले कार्मिकों को इस दायरे में लाया जाना चाहिए, न कि सिर्फ शिक्षा विभाग में कार्यरत पति-पत्नी तक इसे सीमित रखना चाहिए। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि इसमें बिजली बोर्ड के कर्मियों को भी शामिल किया जाए। नेता सदन डॉ. केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि इस बारे में बात की जाएगी। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि अगली बार इस पर जरूर विचार किया जाएगा।