Muzaffarnagar में एक अहम आर्थिक घटनाक्रम सामने आया है, जहाँ जिले के व्यापारियों ने देश की अर्थव्यवस्था को और अधिक गति देने के उद्देश्य से वित्त मंत्री को संबोधित एक विस्तृत ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा। इस ज्ञापन में व्यापारियों ने कर प्रणाली में व्यावहारिक और दूरदर्शी सुधारों के सुझाव देते हुए स्पष्ट कहा कि कम कर दरें भी राजस्व बढ़ा सकती हैं, बशर्ते नीति विकास-उन्मुख हो।
व्यापारियों का कहना है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में किए गए कर सुधारों से यह सिद्ध हो चुका है कि कर दरों में कमी के बावजूद राजस्व में गिरावट नहीं आई है। यही भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती है और इसी आधार पर अब और साहसिक सुधारों की आवश्यकता है।
कर सुधार से विकास—व्यापारियों का तर्क और आर्थिक सोच
व्यापारियों ने अपने ज्ञापन में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए कर ढांचे को सरल, न्यायसंगत और विकासोन्मुख बनाना होगा। उनका मानना है कि—
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कम टैक्स से अधिक अनुपालन होगा
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निवेश का माहौल बेहतर बनेगा
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व्यापार में तेजी आएगी
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रोजगार सृजन बढ़ेगा
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अंततः सरकारी राजस्व में स्वतः वृद्धि होगी
Muzaffarnagar News के अनुसार व्यापारियों ने यह भी रेखांकित किया कि भारत आज जिस आर्थिक दौर में खड़ा है, वहाँ टैक्स आतंक नहीं बल्कि टैक्स सहयोग की नीति अपनानी होगी।
15 लाख तक आय पूर्णतया कर-मुक्त करने की प्रमुख मांग
ज्ञापन का सबसे प्रमुख बिंदु आयकर ढांचे में बड़ा बदलाव है। व्यापारियों ने सुझाव दिया कि—
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15 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पूर्णतया कर-मुक्त की जाए
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15 लाख से 20 लाख तक की आय पर मात्र 5% आयकर लगाया जाए
उनका तर्क है कि इससे मध्यम वर्ग और व्यापारिक वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ेगी, बाजार में मांग आएगी और अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिलेगी।
कैपिटल गेन टैक्स में राहत—निवेश को मिले बढ़ावा
व्यापार, शेयर बाजार और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाने के लिए व्यापारियों ने कैपिटल गेन टैक्स में भी बड़े सुधार की मांग की।
प्रस्ताव के अनुसार—
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15 लाख रुपये तक का कैपिटल गेन पूर्णतया कर-मुक्त किया जाए
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कैपिटल गेन टैक्स की अधिकतम दर 5% से 10% के बीच सीमित की जाए
व्यापारियों का कहना है कि इससे लॉन्ग-टर्म निवेश को बढ़ावा मिलेगा और भारत वैश्विक निवेशकों के लिए और आकर्षक बनेगा।
व्यापारियों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयुष्मान योजना की मांग
Muzaffarnagar News में शामिल इस ज्ञापन का एक संवेदनशील पहलू सामाजिक सुरक्षा से जुड़ा है। व्यापारियों ने मांग की कि—
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सभी व्यापारियों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिले
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50 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को भी इस योजना में शामिल किया जाए
उनका कहना है कि वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानपूर्वक इलाज का अधिकार मिलना चाहिए और व्यापारियों को भी सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता है।
व्यापारी क्रेडिट कार्ड और टोल टैक्स में राहत की मांग
ज्ञापन में व्यापारिक गतिविधियों को सरल बनाने के लिए कई व्यावहारिक सुझाव रखे गए—
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व्यापारियों के लिए विशेष व्यापारी क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएं
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टोल टैक्स की दरें कम की जाएं
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लागत मूल्य वसूली के बाद टोल टैक्स समाप्त किया जाए
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व्यापारियों की निजी कारों से टोल टैक्स हटाया जाए
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व्यापारिक वाहनों से टोल न लिया जाए क्योंकि वे पहले से ट्रांसपोर्ट सेवा पर जीएसटी अदा करते हैं
व्यापारियों का कहना है कि बार-बार टोल टैक्स से व्यापार की लागत अनावश्यक रूप से बढ़ती है।
TDS और GST व्यवस्था में मानवीय सुधार की मांग
व्यापारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि—
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TDS जमा करने में देरी पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान समाप्त किया जाए
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रेडीमेड कपड़ों पर 18% GST स्लैब समाप्त कर 5% का एक समान स्लैब लागू किया जाए
इसके अलावा 18% के जीएसटी स्लैब को समाप्त कर 10% का नया स्लैब बनाने का सुझाव भी दिया गया, ताकि कर संरचना सरल हो सके।
गुड, मावा और कृषि उत्पाद—GST से मुक्ति की मांग
ज्ञापन में मंडी अधिनियम और कृषि उत्पादों का भी उल्लेख किया गया।
व्यापारियों ने कहा कि—
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गुड़ एक कृषि उपज है, जिस पर मंडी शुल्क पहले से लिया जाता है
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इसलिए गुड़ और उससे जुड़ी सेवाओं को GST से मुक्त किया जाए
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मावा (खोया) भी कृषि उत्पाद है, अतः मावा पर 0% GST लागू किया जाए
उनका कहना है कि डेयरी उत्पादों पर जब शून्य GST है, तो मावा को बाहर रखना तर्कसंगत नहीं है।
व्यापारियों की आवाज़ संसद तक पहुँचे—नामित प्रतिनिधियों की मांग
देश की तीव्र आर्थिक प्रगति के लिए व्यापारियों ने एक अनूठा सुझाव भी दिया—
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स्नातक और शिक्षक की तर्ज पर
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5 राज्यसभा सांसद
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11 विधान परिषद सदस्य
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2 नगर पालिका सदस्य
नामित किए जाएं, ताकि व्यापारियों की समस्याएं सीधे सरकार तक पहुंच सकें और नीति निर्माण में व्यावहारिक दृष्टिकोण शामिल हो।
GST अधिकारियों के उत्पीड़न पर चिंता
Muzaffarnagar News के अनुसार व्यापारियों ने ज्ञापन में यह भी मांग उठाई कि—
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GST अधिकारियों द्वारा व्यापारियों और उद्योगपतियों का उत्पीड़न बंद कराया जाए
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जांच और कर वसूली की प्रक्रिया पारदर्शी और सम्मानजनक हो
व्यापारियों का मानना है कि डर के माहौल में व्यापार फल-फूल नहीं सकता।
कौटिल्य और रामराज्य के उदाहरण—कर नीति की दार्शनिक व्याख्या
ज्ञापन में प्रख्यात अर्थशास्त्री कौटिल्य का उल्लेख करते हुए कहा गया कि कर व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जैसे भंवरा फूल से पराग लेता है, लेकिन फूल को नुकसान नहीं पहुंचाता।
साथ ही तुलसीदास जी के रामराज्य वर्णन का हवाला देते हुए कहा गया कि—
जिस प्रकार बादल समुद्र से जल लेकर धरती को हरा-भरा करता है, उसी प्रकार कर व्यवस्था में जनता को अधिकतम लाभ मिलना चाहिए।
व्यापारियों ने जताई उम्मीद—आगामी बजट में दिखेगा असर
व्यापारियों ने आशा जताई कि यदि आगामी बजट में इन सुझावों पर विचार किया गया, तो—
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राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि होगी
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निवेश और व्यापार का माहौल मजबूत होगा
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भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर और सशक्त बनेगी
ज्ञापन सौंपने में शामिल प्रमुख व्यापारी नेता
इस अवसर पर बड़ी संख्या में व्यापारी प्रतिनिधि उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से—
अशोक कंसल (वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष), श्याम सिंह सैनी (जिला महामंत्री), अजय सिंघल (महानगर अध्यक्ष), प्रवीण खेड़ा, राकेश गर्ग, दिनेश बंसल, सुलखन सिंह नामधारी, बाबूराम मलिक, संजय मित्तल, पंकज शर्मा, अलका शर्मा, अनिल तायल, मनोज गुप्ता, अमित मित्तल, पंकज अपवेजा, विकास अग्रवाल, शोभित सिंघल, राम पाल सेन, हिमांशु कौशिक, शोभित गुप्ता, पंकज गोयल, अंजू शर्मा, रूपम शुक्ला, रोशनी पांचाल, अजय गुप्ता, प्रमोद अग्रवाल, अशोक छाबड़ा, पवन छाबड़ा, अभिजीत गम्भीर, अनीशा भटनागर, दिनेश गिरी, सविता, दिनेश गुप्ता, शिव कुमार संगल, दया शंकर शुक्ला सहित अनेक व्यापारी शामिल रहे।
मुजफ्फरनगर के व्यापारियों द्वारा प्रस्तुत यह ज्ञापन केवल मांगों की सूची नहीं, बल्कि देश की आर्थिक दिशा को मजबूती देने का एक व्यावहारिक और दूरदर्शी विज़न है। कर सुधार, निवेश प्रोत्साहन और सामाजिक सुरक्षा को संतुलित करने की यह सोच यदि नीति निर्माण में शामिल होती है, तो न केवल व्यापार जगत को राहत मिलेगी, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था भी तेज़ी से वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर होगी।
