महादेव के नहीं लौटने से जिस घर की दुनिया बिखर गई, वहां आज कोई आवाज नहीं, कोई दिलासा नहीं बस एक ऐसा सन्नाटा है, जो हर सांस को भारी कर देता है। घर में मीरा की टूटी हुई सांसें, बुजुर्ग मां की धीमी चाल और नितेश की घबराई नजरें खुद-ब-खुद बता देती हैं कि यह दर्द कितना गहरा है। तीनों के चेहरों पर एक ही सवाल लिखा है, हमारे महादेव को न्याय कब मिलेगा?

डाहरोली का यह घर अब वैसा नहीं रहा, जैसा कभी था। दीवारें चुप हैं, आंगन थक गया है और दरवाजे पर बैठा हर व्यक्ति एक ही पीड़ा में डूबा है। महादेव के जाने से इस परिवार की नींव हिल गई है। कोई बोलता नहीं, पर हर सांस में दर्द की थरथराहट है। मीरा घर के एक कोने में चुप बैठी रहती हैं। उनके हाथ अनजाने में एक-दूसरे पर कसते जाते हैं, जैसे खुद को संभालने की कोशिश कर रही हों। आंखों में खालीपन है, चेहरा थकान और सदमे से जमा हुआ। वह धीमी आवाज में केवल इतना कह पाती हैं, बस हमें बता दो हमारे साथ यह सब क्यों हुआ? इसके बाद उनकी आवाज रुक जाती है और आंसू धीरे-धीरे बहते रहते हैं।

बूढ़ी मां गंगा कमजोर कदमों से कमरे से आंगन तक चलती रहती हैं। उनकी चाल जैसे दुख के बोझ तले दब गई है। आंखें बार-बार भर आती हैं, पर आवाज नहीं निकलती। वह बस इतना कहती हैं कि मेरे बेटे का सच सामने आना चाहिए और फिर चुप हो जाती हैं, जैसे अपने ही भीतर कहीं खो गई हों।

चौदह वर्षीय नितेश इस घर की सबसे मौन पीड़ा है। हर आहट पर चौंक जाना, हर गाड़ी की आवाज पर दरवाजे तक दौड़ जाना, यह उसका रोज का हाल हो चुका है। न उम्मीद में, न डर में, बस एक अनकही आस में। एक दिन उसने धीमी, कांपती आवाज में पूछा क्या पुलिस पापा को न्याय दिलाएगी?

इस मासूम सवाल ने घर में मौजूद हर व्यक्ति का दिल भारी कर दिया। गांव वाले जब इस घर में आते हैं, तो कुछ ही पल में समझ जाते हैं कि यहां शब्दों से ज्यादा दर्द बोल रहा है। लोग चुपचाप बैठते हैं, सिर झुकाते हैं और जाते-जाते बस इतना कहते हैं, सच सामने आना चाहिए, इस परिवार को न्याय मिलना चाहिए। उधर पुलिस की गाड़ियां गांव में आती-जाती दिख रही हैं। जांच चल रही है, टीमें जुटी हैं, कागज और मैदान दोनों पर काम जारी है। परिवार को विश्वास है कि पुलिस कोशिश कर रही है, पर इंतजार की घड़ी लंबी होती जा रही है। यही इंतजार उनके डर और दर्द दोनों को और गहरा कर रहा है। पत्नी मीरा, मां गंगा और पुत्र नितेश तीनों की एक ही पुकार है, हमें न्याय चाहिए। हमारा दुख छोटा नहीं है। महादेव के चले जाने से सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, एक पूरा घर टूट गया। अब इस बिखरी नींव को थामने वाली एक ही उम्मीद बची है कि सच सामने आए और न्याय इस दहलीज तक पहुंचे। 



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