आगरा विकास प्राधिकरण में दलालों का बोलबाला है। संपत्ति विभाग, प्रवर्तन और नियोजन तक में सेंध है। शास्त्रीपुरम के 90 भूखंडों की फाइल और दर्जनों कॉलोनियों के नक्शे गायब होने के बाद भी अफसर जिम्मेदार बाबू व अन्य कर्मियों पर मेहरबान बने रहे। गायब फाइलों की पुनर्रचना तक एडीए ने नहीं कराई।
एडीए के एक दर्जन से अधिक बाबू व अन्य कर्मियों पर आय से अधिक संपत्तियों के आरोप है। संयुक्त सचिव सहित कई कर्मचारियों के विरुद्ध विजिलेंस जांच चल रही है। ऐसे में फाइलें गायब होने के प्रकरण को अफसर दबाने में जुटे हुए हैं। भूखंडों की फाइल गायब हैं। उनमें एडीए ने प्राथमिकी दर्ज कराई। लेकिन पुलिस ने भी जांच के नाम पर खानापूर्ति की।
नतीजा गायब हो चुकी फाइलों को सुराग तक नहीं मिला। एडीए सूत्रों ने बताया कि संपत्ति विभाग के बाबू की भूमिका संदिग्ध है। प्रथम दृष्ट्या जांच में बाबू की संलिप्तता सामने आई थी। लेकिन, राजनीतिक रसूख के कारण कार्रवाई नहीं हो सकी। एडीए बोर्ड के पूर्व सदस्य मदन गर्ग का कहना है कि एडीए में फाइलें गायब करने के अलावा अवैध निर्माणों की आड़ में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। इस खेल में इंजीनियर व अफसर शामिल हैं।