Muzaffarnagar जानसठ रोड स्थित एस0 डी0 कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी में शिक्षकों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का विषय था ‘‘भावनात्मक बुद्धिमत्ता और विकास‘‘, जो कि शिक्षा क्षेत्र में एक नई दिशा को उत्पन्न करने के लिए आयोजित की गई थी। कार्यशाला में एस0 डी0 कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी, दि एस0 डी0 डिग्री कॉलेज और एस0 डी0 ग्लोबल स्कूल, मुजफ्फरनगर के शिक्षकों ने भाग लिया। इस आयोजन में शिक्षकों को भावनात्मक बुद्धिमत्ता, आत्म-विकास, और उनकी पेशेवर और व्यक्तिगत क्षमताओं को बेहतर बनाने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।
कार्यशाला का उद्घाटन: प्रेरणा और उत्साह का नया सूरज
कार्यशाला का शुभारंभ सैजल बंसल, फाउंडर, एप्रिसिटी हेवन और श्रीमती अंकिता कुमार, पत्नी श्री अनुभव कुमार (सचिव) द्वारा दीप प्रज्जवलित करके किया गया। इस अवसर पर उपस्थित सभी शिक्षक और कार्यशाला के सहभागी विद्यार्थियों ने एक साथ मिलकर इस सार्थक प्रयास की सराहना की। दीप जलाना केवल एक धार्मिक रिवाज नहीं था, बल्कि यह शिक्षकों के आत्मीय और व्यक्तिगत विकास की ओर एक कदम था।
सैजल बंसल ने इस कार्यशाला के दौरान व्यक्तिगत और पेशेवर विकास के लिए गहरी अंतर्दृष्टि और व्यावहारिक रणनीतियाँ साझा की। उन्होंने शिक्षकों को बताया कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता केवल अपनी भावनाओं को समझने और प्रबंधित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों के साथ संबंधों को मजबूत करने में भी सहायक होती है। एक शिक्षक की भावनात्मक बुद्धिमत्ता उनके काम करने के तरीके और छात्रों के साथ जुड़ने के तरीकों को बेहतर बनाती है।
शिक्षकों को आत्म-सुधार और विकास की दिशा में मार्गदर्शन
कार्यशाला के दौरान सैजल बंसल ने यह भी बताया कि विभिन्न व्यक्तित्व प्रकारों के बारे में जानकर शिक्षकों को दूसरों के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने और उन्हें समझने में मदद मिल सकती है। इस सत्र में शिक्षकों को यह प्रेरणा मिली कि वे दूसरों का आंकलन करने के बजाय उन्हें समझने और स्वीकार करने का प्रयास करें। यही नहीं, उन्हें आत्म-सुधार और विकास की दिशा में एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए भी प्रेरित किया गया।
इस सत्र का उद्देश्य शिक्षकों को यह समझाना था कि वे अपनी भावनाओं और सोच को नियंत्रित करके बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, यह भी बताया गया कि जब शिक्षक अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हैं और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं तो वह छात्रों के प्रति सहानुभूति दिखाने में सक्षम होते हैं।
छात्रों के साथ बेहतर जुड़ाव: शिक्षा का नया तरीका
एक और महत्वपूर्ण पहलू जो इस कार्यशाला में उजागर किया गया, वह था कि शिक्षकों को यह सिखाया गया कि वे छात्रों के साथ कैसे बेहतर तरीके से जुड़ सकते हैं और उनकी समस्याओं को समझ सकते हैं। सैजल बंसल ने इस सत्र में चर्चा की कि शिक्षक छात्रों के मानसिक और भावनात्मक पहलुओं को समझें और उनका समर्थन करें। उन्होंने विद्यार्थियों को समझने के प्रभावी तरीकों पर भी विचार साझा किए।
श्रीमती अंकिता कुमार ने कार्यशाला के दौरान सैजल बंसल का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि छात्रों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण था। उन्होंने कहा कि सकारात्मक दृष्टिकोण और सही तरीके से संवाद स्थापित कर कार्यों को प्रभावी रूप से पूरा किया जा सकता है। सकारात्मक सोच और समझदारी से छात्र-छात्राओं और सहकर्मियों के साथ व्यवहार करने से कार्यों की गुणवत्ता और सफलता में वृद्धि होती है।
शैक्षिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है निरंतर विकास
शिक्षक केवल शिक्षा प्रणाली के एक अंग नहीं होते, बल्कि वे छात्रों के भविष्य को आकार देने वाले सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ होते हैं। एक शिक्षक का ज्ञान, समर्पण और क्षमता ही छात्रों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है। इसलिए, यह अत्यंत आवश्यक है कि शिक्षक अपनी पेशेवर क्षमताओं को निरंतर सुधारें और खुद को आधुनिक शिक्षा पद्धतियों, डिजिटल टूल्स और शैक्षिक सिद्धांतों से अपडेट रखें।
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यही था कि शिक्षकों को नवीनतम शैक्षिक पद्धतियों से परिचित कराया जाए, ताकि वे छात्रों को बेहतर तरीके से शिक्षित कर सकें। साथ ही, उन्हें यह भी बताया गया कि वे भावनात्मक स्थिरता और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें ताकि वे न केवल खुद को बल्कि अपने छात्रों को भी मानसिक रूप से मजबूत बना सकें।
भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य का महत्व
संस्थान का यह कार्यशाला आयोजन इस बात का प्रमाण है कि संस्थान अपने शिक्षकों को केवल शैक्षिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की भी चिंता करता है। भावनात्मक स्थिरता, मानसिक स्वास्थ्य और समावेशी शैक्षिक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन निरंतर किया जाएगा। यह संस्थान भविष्य में ऐसे और भी कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहा है ताकि शिक्षकों को उनके व्यक्तिगत और पेशेवर विकास के लिए जरूरी उपकरण मिल सकें।
कार्यशाला ने शिक्षकों को यह सिखाया कि शिक्षण के दौरान केवल शैक्षिक सामग्री ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि छात्रों से संबंध और मानसिक स्थिति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। एक शिक्षक यदि अपनी भावनाओं और मानसिक स्थिति को ठीक तरीके से समझता है तो वह अपने छात्रों के लिए अधिक प्रभावी बन सकता है। इस कार्यशाला के आयोजन से यह साबित होता है कि शिक्षा का भविष्य केवल कागज और किताबों में नहीं है, बल्कि इसमें भावनात्मक बुद्धिमत्ता और मानसिक विकास की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।