खतौली Muzaffarnagar  स्थित शिशु शिक्षा निकेतन इंटर कॉलेज में आयोजित 49वें वार्षिकोत्सव एवं मेधावी छात्र-छात्राओं के अलंकरण समारोह ने शिक्षा, संस्कार और सांस्कृतिक चेतना का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। विद्यालय परिसर में उत्साह, गौरव और आत्मविश्वास का वातावरण देखने को मिला, जहां छात्र-छात्राओं की उपलब्धियों को पूरे सम्मान के साथ मंच पर सराहा गया।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की 10वीं व 12वीं बोर्ड परीक्षा 2025 में 80 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों, साथ ही होम एग्जामिनेशन 2025 में अपनी-अपनी कक्षा में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया। यह समारोह न केवल उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का संदेश भी था।


मेधावी छात्र-छात्राओं का अलंकरण: मेहनत और अनुशासन को मिला मंच

सम्मान समारोह के दौरान मंच पर बुलाए गए छात्र-छात्राओं के चेहरे पर आत्मविश्वास और गर्व साफ झलक रहा था। अपने माता-पिता और शिक्षकों के साथ सम्मान ग्रहण करते हुए विद्यार्थियों ने यह संदेश दिया कि निरंतर परिश्रम, अनुशासन और सही मार्गदर्शन से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
Shishu Shiksha Niketan annual function में यह स्पष्ट रूप से देखने को मिला कि विद्यालय केवल परीक्षा परिणामों तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास को प्राथमिकता देता है। शिक्षकों ने विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए उन्हें आगे भी इसी लगन से अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया।


सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने मोहा मन, छात्रों की प्रतिभा ने बिखेरी चमक

वार्षिकोत्सव के दौरान प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम समारोह का मुख्य आकर्षण रहे। रंगारंग नृत्य, भावपूर्ण गीत और प्रेरणादायक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ दिया।
छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों में अनुशासन, टीमवर्क और आत्मविश्वास साफ नजर आया। इन प्रस्तुतियों ने यह सिद्ध किया कि शिक्षा के साथ-साथ कला और संस्कृति भी विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। Shishu Shiksha Niketan annual function ने विद्यालय की सांस्कृतिक विरासत और शैक्षणिक गुणवत्ता—दोनों को एक मंच पर सशक्त रूप से प्रस्तुत किया।


मुख्य अतिथि राजराजेश्वरी पूजा दीदी का संदेश: मेडिटेशन से बनेगा उज्ज्वल भविष्य

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ब्रह्मकुमारिज की राजराजेश्वरी पूजा दीदी ने अपने प्रेरक संबोधन में मेडिटेशन की महत्ता पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि मेडिटेशन केवल मन की शांति का साधन नहीं है, बल्कि यह एकाग्रता और बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने का प्रभावी माध्यम है।
उन्होंने विशेष रूप से छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि यदि विद्यार्थी नियमित रूप से मेडिटेशन करें, तो पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के हर क्षेत्र में बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। उनका यह संदेश Shishu Shiksha Niketan annual function को एक आध्यात्मिक और प्रेरणात्मक आयाम भी प्रदान करता है।


शिक्षकों और अभिभावकों की साझा जिम्मेदारी पर जोर

राजराजेश्वरी पूजा दीदी ने अपने वक्तव्य में यह भी स्पष्ट किया कि बच्चों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी केवल शिक्षकों तक सीमित नहीं है। अभिभावकों की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि आज के समय में बच्चों को शैक्षणिक ज्ञान के साथ-साथ नैतिक मूल्यों (Moral Values) की शिक्षा देना अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान समाज में नैतिक मूल्यों की कमी चिंता का विषय है, और इसे दूर करने के लिए विद्यालय और परिवार—दोनों को मिलकर प्रयास करने होंगे।
उन्होंने विद्यालय में सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान बच्चों को प्रेरणादायक बातें बताने के लिए प्रधानाचार्य कामना स्वरूप सिंघल के प्रयासों की सराहना भी की।


प्रधानाचार्य कांतास्वरूप सिंघल का अनुभव: मेडिटेशन से मिला नया जीवन

विद्यालय के प्रधानाचार्य कांतास्वरूप सिंघल ने अपने जीवन से जुड़ा एक प्रेरणादायक अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि एक समय वे गंभीर नेत्ररोग से पीड़ित थे, जिसे लेकर चिकित्सकों ने भी असमर्थता जाहिर कर दी थी।
प्रधानाचार्य ने बताया कि उन्होंने मेडिटेशन को जीवन का हिस्सा बनाया और नियमित साधना के माध्यम से उस असाध्य रोग पर विजय प्राप्त की। चिकित्सकों ने भी इस सुधार को चमत्कार की संज्ञा दी। उनका यह अनुभव विद्यार्थियों और अभिभावकों—दोनों के लिए प्रेरणा बना और मेडिटेशन के महत्व को और अधिक मजबूती से स्थापित किया। Shishu Shiksha Niketan annual function में यह वक्तव्य विशेष चर्चा का विषय रहा।


शिक्षा विभाग की सहभागिता: खंड शिक्षा अधिकारी के विचार

समारोह में खंड शिक्षा अधिकारी पंकज अग्रवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने विद्यालय के शैक्षणिक वातावरण, अनुशासन और परिणामों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों में आत्मविश्वास और प्रतिस्पर्धात्मक भावना को सकारात्मक दिशा देते हैं।
उन्होंने मेधावी छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए आशा व्यक्त की कि वे भविष्य में समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।


संगठन, संचालन और सहयोग: टीमवर्क का सशक्त उदाहरण

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अशोक गुप्ता ने की।
कार्यक्रम का संचालन चिराग सिंघल के साथ-साथ वंशिका, नव्या राणा, इजना और श्वेता तोमर ने संयुक्त रूप से किया, जिन्होंने मंच संचालन को प्रभावशाली और अनुशासित बनाए रखा।
संस्था के प्रधानाचार्य कांतास्वरूप सिंघल एवं कार्यक्रम की संयोजक सोनिया सिंघल ने अतिथियों, अभिभावकों और उपस्थित जनसमुदाय के प्रति आभार व्यक्त किया।


शिक्षकों का योगदान: सफलता के पीछे समर्पण की कहानी

वार्षिकोत्सव को सफल बनाने में विद्यालय के शिक्षकों का योगदान सराहनीय रहा।
दिव्या विश्वकर्मा, प्रज्ञा जैन, अवंतिका, अमृता, गोपाल कुमार, रविंद्र कुमार, शिवकुमार, जितेंद्र कुमार, आशीष कुमार, सचिन सैनी, तबस्सुम और अवधेश कुमार सहित अन्य शिक्षकों ने आयोजन की तैयारियों से लेकर विद्यार्थियों के मार्गदर्शन तक हर स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनके समर्पण ने यह सिद्ध किया कि एक मजबूत शिक्षण संस्थान के पीछे शिक्षकों की मेहनत और निष्ठा सबसे बड़ा आधार होती है।


शिशु शिक्षा निकेतन इंटर कॉलेज का यह 49वां वार्षिकोत्सव शिक्षा, संस्कार और सांस्कृतिक चेतना का जीवंत प्रतीक बनकर सामने आया। Shishu Shiksha Niketan annual function ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि जब शैक्षणिक उत्कृष्टता के साथ मेडिटेशन और नैतिक मूल्यों का समन्वय होता है, तब छात्र-छात्राओं का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होता है और समाज को एक जिम्मेदार, सशक्त और जागरूक पीढ़ी प्राप्त होती है।

 



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