मुज़फ्फरनगर | जनपद के मीरापुर क्षेत्र के गांव संभलहेड़ा (Sambhalhera) में स्थित श्री पंचमुखी महादेव मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। यह मंदिर भगवान शिव के पंचमुखी स्वरूप की पूजा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इस मंदिर की विशेष मान्यता है कि श्रावण माह की शिवरात्रि पर यहां शिवभक्त जलाभिषेक करते हुए भगवान शिव से मन्नतें मांगते हैं। काठमांडू और उज्जैन के बाद संभलहेड़ा का यह मंदिर तीसरा पंचमुखी मंदिर है।
मंदिर की स्थापना और ऐतिहासिकता
करीब छह सौ वर्ष पूर्व एक बुजुर्ग महात्मा ने इस स्थान पर कठोर तपस्या की थी। कथा के अनुसार, भगवान शिव ने उन्हें साक्षात दर्शन देकर पंचमुखी शिवलिंग की स्थापना करने का आदेश दिया था। इसके बाद, संत ने गांव के किसान तुलसीराम के साथ मिलकर इस शिवलिंग की स्थापना की। मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष लाला नरेंद्र गर्ग बताते हैं कि करीब पचास वर्ष पूर्व एक पुजारी को स्वप्न में एक दुर्लभ पंचमुखी शिवलिंग का पता चला, जिसे मंदिर परिसर में खुदाई कर निकालकर स्थापित किया गया।
मंदिर की पूजा-अर्चना और धार्मिक महत्व
प्रतिदिन सुबह चार बजे मंदिर के पुजारी पंडित अंकज भारद्वाज भोलेनाथ का श्रृंगार करते हैं और इसके बाद रूद्राभिषेक का कार्य प्रारंभ होता है। सोमवार को यहां प्रसाद चढ़ाने की विशेष मान्यता है, जो भक्तों की आस्था को और भी गहरा करती है।
मंदिर का सौंदर्यीकरण और प्रबंधन
मंदिर के सुंदरीकरण के कार्य में अध्यक्ष नरेंद्र गर्ग, विपिन राजवंशी, कृष्णपाल सैनी, कुबेरदत्त शर्मा, गुड्डू चौधरी, प्रवीण कुमार, शरद गर्ग, जयगोपाल सैनी, रविंद्र कश्यप, पुष्पेंद्र शर्मा, सतेंद्र कुमार, जोनी, संदीप, प्रियम राजवंशी, और जगपाल प्रजापति जैसे सदस्य सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उनके प्रयासों से मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण और रखरखाव लगातार बेहतर हो रहा है।
भगवान शिव और सनातन धर्म का महत्व
भगवान शिव, जिन्हें ‘महादेव’ और ‘भोलेनाथ’ के नाम से भी जाना जाता है, सनातन धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। शिव की आराधना से भक्तगण अपने जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति पाते हैं और शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति करते हैं। पंचमुखी महादेव का स्वरूप विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भगवान शिव के पांच प्रमुख पहलुओं – सद्योजात, वामदेव, अघोर, तTatpuruṣa, और ईशान – का प्रतीक है।
संभलहेड़ा के शिव मंदिर का सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान
संभलहेड़ा का यह पंचमुखी महादेव मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में एकता, सहयोग और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है। यहां पर आयोजित होने वाले विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम लोगों को एकजुट करते हैं और समाज में सद्भावना का प्रसार करते हैं।
संभलहेड़ा के श्री पंचमुखी महादेव मंदिर की यह अनूठी विशेषताएं इसे शिवभक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल बनाती हैं। इस मंदिर की यात्रा और पूजा-अर्चना से भक्तगण अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक समृद्धि की प्राप्ति करते हैं।
भगवान शिव की कृपा से यह मंदिर सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना रहेगा, जहां वे अपनी आस्था को और मजबूत कर सकेंगे और धार्मिक एवं सामाजिक जीवन में नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकेंगे।