
अदालत का फैसला
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गैर इरादतन हत्या के मामले में विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) अभय कृष्ण तिवारी की अदालत ने रखौना, मिर्जामुराद निवासी अभियुक्त उमाशंकर और उसके भाई दयाशंकर को दोषी करार दिया है। अदालत ने दोनों को सात-सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। 25-25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। वहीं, अभियुक्त तिलकधारी व उसके पुत्र बृजेश को पांच-पांच वर्ष के कठोर कारावास व दस-दस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
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अदालत ने जुर्माना राशि में से आधा मृतक की पत्नी व उसके जीवित न रहने पर मृतक के भाई को देने का आदेश दिया है। अदालत में अभियोजन की ओर से एडीजीसी रोहित मौर्य ने और वादी की ओर से अधिवक्ता अनुज यादव व बृजपाल सिंह यादव ने पक्ष रखा। अभियोजन पक्ष के अनुसार, रखौना निवासी वादी मुकेश ने मिर्जामुराद थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि उसके पट्टीदार उमाशंकर और उसके बीच एक कॉमन सबमर्सिबल पंप था। इसका दोनों पक्ष बारी-बारी उपयोग करते थे।
22 सितंबर 2013 को वादी के पिता सर्वजीत व भाई संतोष अपनी पारी पर सुबह पंप चलाने पहुंचे तो उसके पट्टीदार उमाशंकर अपने हाथ में लोहे का रम्मा व दयाशंकर लाठी लिए हुए वहां पहुंच गए और कहा कि आज हम चलाएंगे। जब पिता ने विरोध किया तो वह लोग कहासुनी करने लगे। इसी दौरान अभियुक्त तिलकधारी व बृजेश के ललकारने पर उमाशंकर व दयाशंकर उसके पिता व भाई को लाठी-डंडे व रम्मा से मारने पीटने लगे। इससे पिता का सिर फट गया और वह लहूलुहान होकर वहीं गिर पड़े। अपने पिता व भाई को लेकर अस्पताल पहुंचा, जहां चिकित्सकों ने उसके पिता को मृत घोषित कर दिया। वहीं, इस मामले में दर्ज क्रॉस केस में आरोपी मुकेश मौर्य, संतोष मौर्य, सर्वजीत की पत्नी रमपत्ती देवी व शीला देवी को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया।