Muzaffarnagar उत्तर प्रदेश की सहकारी बैंक व्यवस्था एक बार फिर उबाल पर है। जिला सहकारी बैंकों में रिक्त पदों की भर्ती और वेतन पुनरीक्षण की माँग को लेकर आज मुजफ्फरनगर स्थित बैंक मुख्यालय एक बार फिर से कर्मचारियों की आक्रोशित आवाज़ों से गूंज उठा। को-ऑपरेटिव बैंक स्टाफ एसोसिएशन (CBSA), उत्तर प्रदेश के केन्द्रीय कार्यालय लखनऊ के निर्देश पर यह धरना आयोजित किया गया।
कर्मचारियों का साफ़ कहना है: “जब हम दिन-रात मेहनत करके बैंक की रीढ़ बने हुए हैं, तो हमें अधिकारों से क्यों वंचित रखा जा रहा है?”
बैंक कर्मचारी उतरे सड़कों पर, भरी हुंकार
कोर्ट रोड स्थित जिला सहकारी बैंक मुख्यालय पर आज का दृश्य कुछ अलग था। आम दिनों में जहां खामोशी और फाइलों की सरसराहट सुनाई देती है, वहीं आज नारेबाज़ी, पोस्टर, बैनर और गूंजते हुये नारों ने माहौल में बदलाव ला दिया।
धरने की अगुवाई यू.पी. बैंक इम्प्लॉयज यूनियन, मुज़फ्फरनगर के मंत्री श्री आर.पी. शर्मा ने की। उन्होंने धरने पर बैठे कर्मचारियों का माल्यार्पण कर उत्साहवर्धन किया और आंदोलन की दिशा स्पष्ट की। वरिष्ठ पदाधिकारी श्री अशोक कुमार शर्मा, राजीव जैन और रविन्द्र सिंह भी इस आंदोलन का हिस्सा बने।
यह थी मुख्य माँगें
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जिला सहकारी बैंकों में खाली पड़े पदों पर तत्काल भर्ती की जाए।
सैकड़ों पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं, जिससे कर्मचारियों पर कार्य का अत्यधिक दबाव है। -
वेतन पुनरीक्षण परिपत्र (C-69/अधि0-08 दिनांक 07.01.2022) को सभी जिला सहकारी बैंकों में लागू किया जाए।
लंबे समय से वेतनमान के विषय में लापरवाही बरती जा रही है, जबकि राज्य सरकार द्वारा स्पष्ट आदेश जारी किया जा चुका है।
इन दोनों प्रमुख माँगों को लेकर CBSA के बैनर तले कर्मचारियों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
क्या कहते हैं धरने में शामिल नेता और कर्मचारी?
श्री अशोक कुमार शर्मा (यूनिट मंत्री) ने कहा, “हम केवल अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं। ये धरना किसी राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित नहीं है, बल्कि बैंक कर्मचारियों की जायज़ माँगों को लेकर है।”
श्री यशवीर सिंह, संदीप श्रीवास्तव, राजीव तोमर, राकेश कुमार, विकास आर्य, जितेन्द्र जैन, कुशलपाल सिंह, अमीर अहमद अंसारी, और नकुल कुमार सहित दर्जनों वरिष्ठ कर्मचारियों ने भी पूर्ण भागीदारी कर धरने को ताक़त दी।
संगठन की एकजुटता ने दिखाया दम
धरने में बैंक मुख्यालय में तैनात सभी कर्मचारियों ने भाग लेकर यह जता दिया कि यह केवल कुछ लोगों की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे स्टाफ की सामूहिक आवाज़ है। कार्यालयीन कार्य प्रभावित होने के बावजूद कर्मचारियों का जोश कम नहीं हुआ।
“यह संघर्ष अब रुकने वाला नहीं है, जब तक हमारी मांगों को सरकार और प्रबंधन नहीं मान लेते,” यह कहना था धरनारत कर्मचारियों का।
क्यों जरूरी है यह आंदोलन?
उत्तर प्रदेश में सहकारी बैंकिंग प्रणाली ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। किसान, श्रमिक और छोटे व्यापारी इन बैंकों पर निर्भर हैं। लेकिन यदि कर्मचारियों को उचित सुविधाएं और संसाधन नहीं मिलेंगे, तो यह व्यवस्था खुद ही चरमरा जाएगी।
रिक्त पदों के कारण जहां काम की गति धीमी हुई है, वहीं वेतनमान की अनदेखी कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ रही है। सन् 2022 में जारी परिपत्र C-69 को लागू न करना सरकारी आदेश की खुली अवहेलना है।
शाम तक गूंजता रहा नारा – “जब तक मांगें पूरी नहीं, तब तक चैन नहीं!”
धरना शाम 5:00 बजे ज़ोरदार नारों के साथ समाप्त हुआ। “हमारा हक़ दो”, “रिक्त पद भरो”, “वेतनमान लागू करो” जैसे नारों की गूंज कोर्ट रोड से लेकर प्रशासनिक गलियारों तक पहुंची।
यूपी बैंक इम्प्लॉयज यूनियन के वरिष्ठ अधिकारी श्री आर.पी. शर्मा और श्री अशोक कुमार शर्मा के नेतृत्व में धरना शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ, लेकिन चेतावनी दी गई कि यदि माँगों पर जल्द विचार नहीं हुआ, तो आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा।
क्या होगा अगला कदम?
CBSA की योजना है कि यदि माँगों की पूर्ति नहीं होती है तो प्रदेश भर में चरणबद्ध आंदोलन चलाया जाएगा। इसका असर यूपी की बैंकिंग व्यवस्था पर पड़ सकता है, जिससे राज्य सरकार और प्रबंधन पर दबाव बढ़ेगा।
अब सवाल यह है:
क्या उत्तर प्रदेश सरकार और सहकारी बैंक प्रबंधन इस आवाज़ को सुनेंगे? या फिर कर्मचारियों को फिर से सड़कों पर उतरना पड़ेगा?
समय ही बताएगा, लेकिन एक बात तय है – सहकारी बैंक कर्मचारियों का यह आक्रोश अब थमने वाला नहीं है।