भौरांकला, Muzaffarnagar जाट समाज के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। जनपद जाट महासभा के तत्वाधान में ऐतिहासिक गाँव सिसौली में आयोजित विशाल जाट महापंचायत ने न केवल आरक्षण की मांग को जोरदार तरीके से उठाया, बल्कि सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ एकजुट होकर जंग का ऐलान भी किया। यह महापंचायत जाट समाज के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन गई है।

भाकियू की राजधानी में जुटा जाट समाज

मुजफ्फरनगर का ऐतिहासिक गाँव सिसौली, जो भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है, एक बार फिर जाट समाज की ताकत का केंद्र बना। डीएवी इंटर कॉलेज के पास विशाल मैदान में आयोजित इस महापंचायत में जाट समाज के हजारों लोगों ने शिरकत की। आसपास के जिलों और यहाँ तक कि अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुँचे, जिससे साफ जाहिर होता है कि जाट समाज अपने हक़ के लिए एकजुट हो चुका है।

आरक्षण की मांग: अब और इंतज़ार नहीं!

महापंचायत का मुख्य मुद्दा जाट समाज को आरक्षण दिलाना रहा। भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने मंच से ऐलान किया कि सरकार को जाट समाज को तुरंत आरक्षण देना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारे समाज के युवाओं को शिक्षा और नौकरियों में पिछड़ने का दर्द अब और नहीं सहना चाहिए। सरकार को हमारी मांग को गंभीरता से लेना होगा।”

पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने भी इस मांग को समर्थन देते हुए कहा कि “संगठित होकर ही हम अपने हक़ की लड़ाई जीत सकते हैं।” सांसद हरेंद्र मलिक ने भी जोर देकर कहा कि “समाज की एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत है।”

सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जंग

महापंचायत में सिर्फ आरक्षण ही नहीं, बल्कि समाज में फैली कुरीतियों पर भी ज़ोरदार चर्चा हुई। नरेश टिकैत ने समाज के लोगों से अपील की कि “दहेज प्रथा, अशिक्षा और जातिगत भेदभाव जैसी बुराइयों को जड़ से खत्म करना होगा। हमें अपने बच्चों को संस्कारवान बनाना है ताकि समाज आगे बढ़ सके।”

नेपाल और राजशाही के संदर्भ में जाट समाज की भूमिका

इस महापंचायत में नेपाल के राजशाही इतिहास और वहाँ के जाट समुदाय की भूमिका पर भी चर्चा हुई। जाट समाज ने हमेशा से ही साम्राज्यों और राजाओं के खिलाफ संघर्ष किया है। नेपाल में भी जाटों ने अपनी बहादुरी के लिए पहचान बनाई है। इसलिए, अगर भारत में जाट समाज अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है, तो यह कोई नई बात नहीं है।

महापंचायत का ऐतिहासिक फैसला

इस महापंचायत में कई अहम फैसले लिए गए:

  1. आरक्षण के लिए दिल्ली कूच: अगर सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो जाट समाज दिल्ली में बड़ा प्रदर्शन करेगा।
  2. सामाजिक सुधार अभियान: गाँव-गाँव में जागरूकता अभियान चलाकर दहेज, नशाखोरी और अशिक्षा जैसी बुराइयों को खत्म किया जाएगा।
  3. युवाओं को रोजगार: समाज के युवाओं को रोजगार के लिए प्रशिक्षित करने की योजना बनाई गई।

 एक नए युग की शुरुआत

सिसौली की यह महापंचायत जाट समाज के लिए एक नए संघर्ष की शुरुआत है। नरेश टिकैत ने अपने भाषण के अंत में कहा, “हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक हमें हमारा हक़ नहीं मिल जाता।”

इस महापंचायत ने साबित कर दिया कि जाट समाज अब किसी भी हाल में अपने अधिकारों से समझौता नहीं करेगा। अब सरकार की बारी है कि वह इस मांग को गंभीरता से ले और जाट समाज को उसका हक़ दे।



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