Sunil Oja: Merged into Panchatatva in front of daughter 'Ganga', no family member in the trust of Gadauli Dham

सुनील ओझा की पुत्री गंगा
– फोटो : संवाद

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जिस गड़ौली धाम में भाजपा नेता और बिहार भाजपा के सह प्रभारी रहे सुनील ओजा को अंतिम विदाई दी गई, उस परिसर को संचालित करने वाले ओएस बाल कुंदन फाउंडेशन की कार्यकारिणी में उनके परिवार को कोई सदस्य शामिल नहीं है। ऐसे में फाउंडेशन का संचालन अब परिवार के हाथों में जाएगा या ट्रस्ट के सदस्य ही इसका संचालन करेंगे, इस पर भी निर्णय होना बाकी है।

ट्रस्ट के गठन के समय प्रधान न्यासी सुनील ओजा के साथ हैदराबाद के मैकाले विष्णु वर्धन रेड्डी और सिगरा निवासी डा. संध्या दूबे इसके सदस्य बनाए गए थे। फिलहाल, हैदराबाद के मैकाले विष्णु वर्धन रेड्डी ने कुछ समय बाद ट्रस्ट से इस्तीफा दे दिया था। नियमों के अनुसार इसमें शहर के कुछ नामचीन लोगों को नए सदस्य के रुप में जोड़ा गया है। ओजा का अंतिम संस्कार करने के बाद उनके दोनों बेटे और परिवार के लोग बृहस्पतिवार की देर रात गुजरात रवाना हो गए। गड़ौली धाम और दत्तक पुत्री गंगा सहित अन्य जिम्मेदारियों पर निर्णय करने के लिए उनके दोनों बेटे 15 दिन बाद वाराणसी लौटेंगे।

भाजपा नेता सुनील ओजा ने कोरोना की लहर में ओएस बालकुंदन फाउंडेशन की स्थापना की और वाराणसी से ही इस सिगरा के एक मकान के पते पर ट्रस्ट का पंजीकरण कराया। इसके बाइलाज के अनुसार प्रधान न्यासी को अपना उत्तराधिकारी तय करेंगे और ऐसा नहीं हो पाने की स्थिति में वरिष्ठता के आधार पर सदस्य निर्णय करेंगे। ऐसे में ट्रस्ट के नए सदस्यों की भूमिका भी अहम मानी जा रही है। यहां बता दें कि गड़ौली धाम में सरकारी खर्च पर 1008 सामूहिक विवाह कराए जाने के बाद ट्रस्ट चर्चा में आया था। इसके बाद ही संगठन ने नाराजगी जाहिर करते हुए यूपी प्रदेश सह प्रभारी सुनील ओजा का स्थानांतरण इसी भूमिका में बिहार कर दिया था।

 

 



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