High Court Says Married daughter entitled to get job as dependent of deceased

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ

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लखनऊ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को एक अहम फैसले में कहा कि सरकारी कर्मी की विवाहित पुत्री भी मृतक आश्रित के रुप में नौकरी पाने की हकदार है। कोर्ट ने नजीर में कहा कि सेवा कानून के तहत मृतक आश्रित की नियुक्ति के लिए पुत्री की वैवाहिक स्थिति मायने नहीं रखती।

इस महत्वपूर्ण कानूनी व्यवस्था के साथ कोर्ट ने उप्र सहकारी ग्रामीण विकास बैंक लि. में सहायक शाखा अकाऊंटेंट की विवाहित पुत्री को दो माह में मृतक आश्रित के रुप में अर्ह मानते हुए सेवा में लेने पर गौर करने का आदेश दिया। 

साथ ही बैंक प्रशासन के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके तहत मृतक कर्मी की पुत्री को विवाहित होने की वजह से एक नियम का हवाला देकर मृतक आश्रित के रुप में सेवा में रखने से इन्कार किया गया था। कोर्ट ने उप्र सहकारी समितियों के कर्मचारियों की सेवा संबंधी 1975 के रेगुलेशन 104 के नोट में लिखा शब्द “अविवाहित” को निरस्त कर याचिका मंजूर कर ली।

न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने यह फैसला नीलम देवी की याचिका पर दिया। याचिका में याची को मृतक आश्रित के रुप में सेवा में रखने से इन्कार करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।



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