Court order passed on printed proforma is not admissible in judicial process

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– फोटो : Social Media

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बिजनौर के न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा प्रिंटेड प्रोफार्मा पर आरोप पत्र पर संज्ञान लिए जाने का आदेश निरस्त कर दिया। कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ पारित तलबी आदेश को भी रद्द करते हुए निचली अदालत को नए सिरे से आदेश पारित करने का आदेश दिया है। यह आदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति चंद्र कुमार राय ने याची खुर्शीद आलम द्वारा अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा प्रिंटेड प्रोफार्मा पर पारित संज्ञान और तलबी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

मामला बिजनौर जिले के थाना अफजलगढ़ का है। वर्ष 2009 में सीरवासुचंद निवासी शुऐब आलम ने याची खुर्शीद आलम समेत आठ लोगों के खिलाफ आधी रात घर में घुस कर परिजनों को जान से मारने जैसी संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया था। पुलिस ने मामले में बिजनौर के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट के न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 13 जनवरी 2020 को प्रिंटेड प्रोफार्मा पर संज्ञान ले कर आरोपी याची के खिलाफ तलबी आदेश पारित कर दिया।

याची की ओर से अधिवक्ता पंकज त्यागी और अर्चना त्यागी ने पक्ष रखा। इस पर उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने प्रिंटेड प्रोफार्मा पर आरोप पत्र संज्ञान लेकर पारित तलबी आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा आपराधिक न्यायिक प्रक्रिया में बिना न्यायिक विवेक का प्रयोग किए प्रिंटेड प्रोफार्मा पर पारित आदेश को स्वीकार्य नहीं किया जा सकता। ऐसे आदेश के जरिये आरोपित को तलब किया जाना गंभीर न्यायिक त्रुटि है, जिसे अदालती कार्यवाही में मान्यता नहीं दी जा सकती।



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