
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : फाइल फोटो
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साहेब हम बहुत गरीब मनई हई, खाए का पैसा नहीं हई, इतनी महंगी दवईया कहां से लाऊब, मरी जाब साहेब…मरी जाब। ये शब्द कई ऐसे गरीब मरीजों के परिजनों के हैं, जो आयुष्मान कार्ड के दम पर इलाज के लिए स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल पहुंचते हैं। इलाज शुरू होने के बाद जब वह दवा लेने आयुष्मान पैनल की अमृत फार्मेसी पहुंचते हैं, तो उन्हें महंगी दवाइयां बाहर से लेने के लिए कहा जाता है। एसआरएन में आयुष्मान लाभार्थियों को दवा उपलब्ध कराने के लिए अमृत फार्मेसी को पैनल में शामिल किया गया है। ऐसे में अगर किसी मरीज का इलाज आयुष्मान योजना के अंतर्गत होता है तो उसे दवा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी अमृत फार्मेसी की है। मगर अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों का कहना है कि उन्हें बाहर से दवा लेने के लिए फार्मेसी मजबूर करती है।