Muzaffarnagar में मंगलवार को ग़ुस्से का ज्वालामुखी फूट पड़ा, जब अखिल भारतीय हिन्दू क्रान्तिदल के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निहत्थे हिन्दू श्रद्धालुओं की बर्बर हत्या के खिलाफ ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। शहर की फिज़ा उस वक्त तनावपूर्ण हो गई जब रूड़की रोड स्थित वैष्णो मोती मंदिर से लेकर शिव चौक तक आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने पैदल मार्च करते हुए पाकिस्तान मुर्दाबाद और आतंकवाद के खिलाफ ज़बरदस्त नारेबाज़ी की।

पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश: ‘हत्यारों को माफ नहीं करेंगे’

शिव चौक पर पहुँचते ही माहौल पूरी तरह से विरोध में बदल गया। जिलाध्यक्ष मोहित सिंघल एडवोकेट की अगुवाई में सैकड़ों लोगों ने आतंकवाद के प्रतीकात्मक पुतले को सरेआम चप्पलों और जूतों से पीटा। पुतले को देखते ही देखते आग के हवाले कर दिया गया। इसके बाद दो मिनट का मौन रखकर मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।

मंच से मोहित सिंघल ने हुंकार भरते हुए कहा, “अगर सरकार आतंकवादियों को नहीं रोकेगी, तो देश का युवा खुद मोर्चा संभालेगा। हिंदुओं की हत्या अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” इस दौरान अन्य वक्ताओं ने भी अपना आक्रोश व्यक्त किया और कहा कि कश्मीर को फिर से ‘हिंदू-स्वाभिमान भूमि’ बनाने का समय आ गया है।

धरती के देवताओं पर हमला: श्रद्धालुओं की हत्या से काँप उठा देश

घटना की पृष्ठभूमि जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत लेकिन अक्सर आतंकवाद की चपेट में रहने वाले पहलगाम की है, जहां कुछ दिन पहले शांतिपूर्वक यात्रा पर निकले निर्दोष हिन्दू श्रद्धालुओं को निशाना बनाकर आतंकियों ने गोलियों से भून दिया। यह हमला न केवल मानवता के खिलाफ है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला कृत्य भी है।

हिन्दू क्रान्तिदल के कार्यकर्ताओं ने कहा कि अगर ऐसे हमलों पर लगाम नहीं लगी, तो देश के कोने-कोने से लोग सड़कों पर उतरकर जवाब देंगे।

आक्रोशित जनसभा में गूंजे नारे: ‘एक-एक की लेंगे जान, भारत माँ का अपमान नहीं सहेंगे’

प्रदर्शन के दौरान युवा कार्यकर्ताओं की भावनाएं उबाल पर थीं। “हिंदुओं की हत्या बंद करो”, “आतंकवाद मुर्दाबाद”, “भारत माता की जय” जैसे नारे लगातार शिव चौक को गूंजाते रहे।

इस जनसैलाब में प्रमुख रूप से उपस्थित थे संजय मित्तल, मनीष गर्ग, योगेश कश्यप, दलसिंह पाल, सर्वेश तायल, मोनू पाल, कुलदीप कुमार, राजीव पाल, शुभम पाल, विशेष कुमार, मोहित, सतीश, प्रियाशु, रजत, सुमित, नैतिक प्रजापति, राजीव प्रजापति और दर्जनों अन्य कार्यकर्ता। इन सभी ने मिलकर इस मार्च को क्रांतिकारी रंग दिया और पूरे शहर का ध्यान आकर्षित किया।

‘शांति की बात तब, जब आतंक का अंत हो’: कार्यकर्ताओं की मांगें

प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें थीं:

  1. आतंकियों के खिलाफ कठोर सैन्य कार्रवाई

  2. कश्मीर में हिंदुओं की सुरक्षा के लिए विशेष फोर्स की तैनाती

  3. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित कराने की पहल

  4. शहीदों के परिवार को मुआवज़ा और स्थायी रोजगार

  5. देशभर में हिंदुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की मांग

पुलिस प्रशासन की मौजूदगी और सतर्कता

प्रदर्शन के मद्देनज़र पुलिस बल पहले से ही अलर्ट पर था। विभिन्न चौक-चौराहों पर फोर्स की तैनाती की गई थी। हालांकि विरोध शांतिपूर्ण रहा, लेकिन पुलिस पूरी तरह सतर्क नजर आई।

एसपी सिटी ने बताया कि, “शहर में किसी प्रकार का तनाव ना फैले, इसके लिए हमारी टीम पूरी सतर्कता बरत रही है। प्रदर्शनकारियों को समझाया गया है कि शांति बनाए रखें।”

कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैला ग़ुस्सा: पूरे देश में उठ रही आवाज़

मुजफ्फरनगर का यह प्रदर्शन उस आग का हिस्सा है, जो पूरे देश में फैल रही है। दिल्ली, जयपुर, लखनऊ, नागपुर और भोपाल जैसे शहरों में भी ऐसे ही मार्च निकाले जा चुके हैं। हर कोई एक ही बात कह रहा है — “आतंकवाद के खिलाफ अब आर-पार की लड़ाई जरूरी है।”

युवाओं में उबाल: राष्ट्रवाद की नई लहर

विशेष रूप से युवाओं की भागीदारी इस आंदोलन को अलग धार दे रही है। सोशल मीडिया से लेकर ज़मीनी स्तर तक, हर ओर इस मुद्दे पर जागरूकता और उबाल देखने को मिल रहा है। कई संगठनों ने तो सोशल मीडिया पर ‘#JusticeForHindus’ और ‘#StopKillingHindus’ जैसे ट्रेंड चलाकर अपनी आवाज़ बुलंद की है।

आगे की रणनीति: राष्ट्रव्यापी आंदोलन की चेतावनी

अखिल भारतीय हिन्दू क्रान्तिदल ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर केंद्र सरकार और प्रशासन ने शीघ्र प्रभावी कदम नहीं उठाए, तो यह प्रदर्शन सिर्फ शुरुआत होगा। संगठन की योजना है कि अगली बार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विशाल रैली आयोजित की जाए, जिसमें लाखों की संख्या में कार्यकर्ता भाग लेंगे।



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