मोरना। (Muzaffarnagar): शुकतीर्थ के पवित्र धाम में मोक्ष कुंभ 2025 का दूसरा दिन भक्ति, श्रद्धा और आस्था के अद्भुत संगम का साक्षी बना। हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे, जिन्होंने बाणगंगा में पवित्र स्नान किया, दीपदान किया और अक्षय वटवृक्ष पर मन्नतों का धागा बांधकर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना की। पूरे क्षेत्र में “गंगा मैया की जय” और “हर हर महादेव” के उद्घोष गूंजते रहे।
भोर से ही उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
सुबह की पहली किरण के साथ ही तीर्थनगरी शुकतीर्थ में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। बाणगंगा के तट पर महिलाओं ने सैकड़ों दीप जलाए, जिनकी टिमटिमाती रोशनी ने घाट को दिव्यता से आलोकित कर दिया। लोगों ने अपने पूर्वजों की शांति, परिवार की खुशहाली और जीवन में समृद्धि के लिए दीपदान किया।
स्थानीय पुरोहितों ने विधिवत यज्ञ और पूजन कराया। आचार्य अरुण और पुरोहित विकास ने श्री शुकदेव मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना कराई, जिसमें दूर-दराज़ से आए श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
आस्था का केंद्र बना अक्षय वटवृक्ष
अक्षय वटवृक्ष पर श्रद्धालु अपने सपनों और इच्छाओं को एक धागे के रूप में बांधते नज़र आए। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है—कहा जाता है कि जो भक्त यहां सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी कामना जरूर पूरी होती है। इस वर्ष भी हजारों लोगों ने वटवृक्ष के चारों ओर मन्नतों के धागे बांधकर अपने जीवन में सुख-शांति की कामना की।
कारगिल स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि
धार्मिक माहौल के बीच भी राष्ट्रभक्ति का जज़्बा देखने लायक रहा। कारगिल स्मारक पर श्रद्धालुओं और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने शहीदों और महापुरुषों को नमन किया। पुष्प अर्पित करते हुए “भारत माता की जय” के नारे गूंज उठे। यह क्षण हर व्यक्ति के हृदय को गर्व से भर देने वाला था।
तीर्थ स्थलों पर भारी भीड़ — सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
श्री शुकदेव मंदिर, चरणदास मंदिर, हनुमान मंदिर, शिव मंदिर, दुर्गा धाम, हनुमंतधाम और शिव धाम जैसे सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भारी भीड़ देखी गई। जिला प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को लेकर विशेष इंतज़ाम किए थे। जगह-जगह पुलिस कर्मी और स्वयंसेवक तैनात रहे ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
डीएम उमेश मिश्रा ने किया निरीक्षण — सुविधाओं की समीक्षा
डीएम उमेश मिश्रा स्वयं मेले में पहुंचे और सभी मुख्य क्षेत्रों का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि तीर्थयात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी न हो। अस्थायी शौचालय, पेयजल, चिकित्सा शिविर और पार्किंग व्यवस्था का भी उन्होंने जायज़ा लिया।
डीएम ने बताया कि प्रशासन की ओर से हर श्रद्धालु के लिए बेहतर सुविधाओं का इंतज़ाम किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि “शुकतीर्थ न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह हमारी आस्था और संस्कृति का प्रतीक भी है।”
भागवत कथा और आध्यात्मिक कार्यक्रमों की गूंज
श्री शुकदेव आश्रम में सात भागवत कथाएं एक साथ चल रही हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों से आए विद्वान कथावाचकों की मधुर वाणी में श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। कथा स्थलों पर लोगों ने भजन, कीर्तन और प्रसाद वितरण का आनंद लिया।
धार्मिक पर्यटन का नया केंद्र बन रहा शुकतीर्थ
मोक्ष कुंभ के आयोजन ने शुकतीर्थ को धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर नई पहचान दिलाई है। यहां की व्यवस्था, नदी तटों की सफाई और स्थानीय प्रशासन की तत्परता ने इस तीर्थ को और अधिक आकर्षक बना दिया है।
राज्य सरकार ने भी इस आयोजन को लेकर विशेष रुचि दिखाई है। आने वाले वर्षों में यहां बेहतर सड़कें, ठहरने की सुविधाएं और डिजिटल सूचना केंद्र विकसित किए जाएंगे ताकि तीर्थयात्री आसानी से अपनी यात्रा कर सकें।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी — आस्था में नई ऊर्जा
इस बार कुंभ में महिलाओं की संख्या विशेष रूप से अधिक रही। महिलाएं पारंपरिक परिधान में, सिर पर कलश रखे हुए भक्ति गीत गाती हुई नज़र आईं। दीपदान के समय उनकी आंखों में भक्ति और चेहरे पर संतोष झलक रहा था। कई महिलाओं ने कहा कि “यह अनुभव जीवन का सबसे पवित्र क्षण है, जो आत्मा को शांति देता है।”
पर्यावरण संरक्षण की मिसाल भी बना कुंभ मेला
धार्मिक आस्था के साथ-साथ इस बार स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता दी गई। घाटों पर “स्वच्छ कुंभ, पवित्र कुंभ” का नारा गूंजता रहा। स्वयंसेवी संस्थाओं और छात्रों ने मिलकर सफाई अभियान चलाया, प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित रहा।
लोक संस्कृति और भक्ति का संगम
शाम ढलते ही गंगा आरती का दृश्य अत्यंत मनमोहक रहा। शंखनाद, घंटियों की ध्वनि और दीपों की पंक्तियों ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। स्थानीय कलाकारों ने लोकगीत, भजन और नृत्य प्रस्तुत कर वातावरण को और अधिक जीवंत कर दिया।
प्रशासन और श्रद्धालुओं के बीच तालमेल की सराहना
मेले में आए तीर्थयात्रियों ने प्रशासन की व्यवस्था की प्रशंसा की। कई श्रद्धालुओं ने कहा कि इस बार की व्यवस्था पिछले वर्षों से कहीं बेहतर रही है। प्रशासन और स्वयंसेवकों के बीच तालमेल से हर काम सुचारु रूप से चला।
मोक्ष कुंभ ने गढ़ी आस्था की नई परिभाषा
मोक्ष कुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, सामाजिक एकता और पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक बन गया है। श्रद्धालुओं की भीड़, साधु-संतों का प्रवचन और गंगा तटों की पवित्रता—इन सबने मिलकर शुकतीर्थ को एक जीवंत आध्यात्मिक केंद्र बना दिया है।
🌸 *शुकतीर्थ में मोक्ष कुंभ 2025 की यह भव्यता केवल आस्था का नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के अद्भुत पुनर्जागरण का प्रतीक है। बाणगंगा की लहरों में डुबकी लगाने वाले हर श्रद्धालु के हृदय में भक्ति की एक नई चेतना जागी है, जो आने वाले वर्षों तक इस पावन स्थल की महिमा को जीवंत रखेगी।* 🌸
