मोरना (Muzaffarnagar)। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर शुकतीर्थ की पवित्र भूमि पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। पिछले तीन दिनों से श्रद्धालु लगातार यहां पहुंच रहे हैं। सोमवार को दूर-दराज़ के जिलों और पड़ोसी राज्यों से भी भारी संख्या में भक्त पहुंच गए। हर ओर “हर हर गंगे”, “जय मां गंगे” के जयकारों की गूंज से पूरा वातावरण भक्ति और उल्लास से सराबोर हो गया है।

प्रशासन द्वारा प्रारंभिक सख्ती के बाद अब कुछ नरमी दिखाई जा रही है, जिससे श्रद्धालुओं ने मुख्य मार्ग किनारे अपने-अपने डेरे और तंबू स्थापित कर लिए हैं। नदी किनारे दीपों की रौशनी, घंटियों की ध्वनि और भक्ति गीतों की गूंज ने माहौल को पूरी तरह आध्यात्मिक उत्सव में बदल दिया है।


गंगाघाट पर उमड़ी भीड़, श्रद्धालुओं ने मां गंगा की आरती कर लिया पुण्य स्नान
गंगा तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही उमड़ पड़ी थी। हर कोई मां गंगा की पूजा-अर्चना और स्नान के लिए आतुर दिखा। महिलाएं कलश लिए पंक्तियों में खड़ी होकर आरती कर रही थीं, वहीं युवा भक्ति गीत गा रहे थे।
श्रद्धालुओं ने गंगा जल से अभिषेक, दीपदान और पुरोहितों से अनुष्ठान संपन्न कराए। घाटों पर “हर हर गंगे” और “जय मां गंगे” की आवाजें गूंजती रहीं।


तीर्थनगरी के मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें
शुकतीर्थ के प्रमुख मंदिरों — शुकदेव आश्रम, हनुमद्धाम, गणेश धाम, शिव धाम, दुर्गा धाम, मां पीतांबरा धाम — में सुबह से लेकर देर रात तक श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।
भक्त प्रसाद चढ़ा रहे हैं, आरती कर रहे हैं और भक्ति संगीत के बीच कलश पूजन कर रहे हैं। कई श्रद्धालु भक्ति नृत्य करते हुए बैंड-बाजे के साथ गंगाघाट पहुंच रहे हैं, जिससे पूरा क्षेत्र भक्तिमय वातावरण में झूम उठा है।


प्राचीन शुकदेव आश्रम बना आकर्षण का केंद्र — श्रद्धालु मांग रहे मनौती
महाभारत कालीन शुकदेव आश्रम में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है। यहां भक्त अक्षय वट वृक्ष की परिक्रमा कर धागा बांधकर मनौती मांग रहे हैं।
कई श्रद्धालु आश्रम के महत्त्व और पौराणिक कथाओं को समझने के लिए साधु-संतों से बातचीत कर रहे हैं। यह स्थान न केवल आस्था का प्रतीक, बल्कि भारतीय अध्यात्म की जीवंत मिसाल बन गया है।


विभिन्न आश्रमों में सत्संग और प्रवचन का दौर जारी
शहर के प्रमुख आश्रमों — प्राचीन दंड़ी आश्रम, श्री महेश्वर आश्रम, मानव निर्माण योग आश्रम, महाशक्ति सिद्धपीठ, रविदास आश्रम, सत साहेब आश्रम, खिचड़ी वाले बाबा का आश्रम, अखंड धाम, मां पूर्णागिरी आश्रम — में निरंतर सत्संग और प्रवचन कार्यक्रम चल रहे हैं।
देशभर से आए साधु-संत धार्मिक ज्ञान, कर्मयोग, सदाचार और मानवता पर प्रवचन दे रहे हैं। भक्तजन मंत्रोच्चारण और भजन कीर्तन में लीन होकर शांति और सुकून का अनुभव कर रहे हैं।


प्रशासन ने कसी कमर — सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम और रूट डायवर्जन लागू
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। अधिकारी लगातार गश्त कर रहे हैं। सीओ देवव्रत वाजपेयी के निर्देशन में प्रभारी निरीक्षक जसवीर सिंह और मेला कोतवाल विनोद कुमार ने फोर्स के साथ वाहनों और तंबुओं की सघन तलाशी अभियान चलाया।
तलाशी के दौरान कई भैंसा-बुग्गी और डेरों से शराब बरामद हुई, जिस पर तुरंत कार्रवाई की गई।

अतिरिक्त सावधानी के लिए रूट डायवर्जन लागू किया गया है —

  • मोरना चौराहा → बहुपुरा → फिरोजपुर → गुरु समनदास आश्रम मार्ग

  • मोरना → बिहारगढ़ → मां काली मंदिर → मेला ग्राउंड मार्ग

मुख्य मार्ग को किसी आपात स्थिति के लिए रिजर्व रखा गया है ताकि एंबुलेंस या सुरक्षा वाहनों को तत्काल रास्ता मिल सके।


विभागों ने लगाई आकर्षक प्रदर्शनी – श्रद्धालु हो रहे जागरूक
मेला ग्राउंड पर स्वास्थ्य विभाग, पशुपालन विभाग, कृषि विभाग, गन्ना विभाग, आबकारी विभाग सहित कई सरकारी संस्थानों ने अपने स्टॉल और प्रदर्शनी लगाई हैं।
यहां श्रद्धालुओं को विभागीय योजनाओं, स्वास्थ्य सेवाओं और कृषि संबंधी जानकारी दी जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से फ्री हेल्थ चेकअप कैंप भी चलाया जा रहा है, जिससे बड़ी संख्या में ग्रामीण लाभ उठा रहे हैं।


गांव-गांव से भैंसा-बुग्गी और ट्रैक्टर-ट्राली में पहुंचे श्रद्धालु
ग्रामीण क्षेत्र के हजारों श्रद्धालु भैंसा-बुग्गी और ट्रैक्टर-ट्राली से मेले में पहुंचे। सच्चा प्रकाश आश्रम, गुरु समनदास आश्रम और मेला स्थल के आसपास तंबुओं की कतारें लग गईं।
कई श्रद्धालु धर्मशालाओं और आश्रमों में ठहरे हैं। उनके लिए स्थानीय लोग भोजन और प्रसाद वितरण की व्यवस्था कर रहे हैं। यह नज़ारा किसी धर्मिक कुंभ मेले से कम नहीं है।


आस्था और अनुशासन का अनूठा संगम
मेले में भक्त जहां श्रद्धा से लबालब हैं, वहीं प्रशासन की सतर्कता ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई अप्रिय घटना न हो। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए स्वयंसेवक तैनात हैं। मेले के प्रत्येक मार्ग पर सुरक्षा पोस्ट, फर्स्ट एड कैंप, पानी की व्यवस्था, और अनाउंसमेंट बूथ लगाए गए हैं।


तीर्थनगरी की पहचान – शुकतीर्थ में फिर लौटी रौनक
पिछले कुछ वर्षों से कोविड और अन्य कारणों से ठंडी पड़ी शुकतीर्थ नगरी में अब फिर से जीवन और श्रद्धा की लहर लौट आई है। दुकानों पर मिठाइयों, पूजा सामग्री, और खिलौनों की रौनक देखकर लगता है कि पूरा शहर गंगा महोत्सव में डूब गया है।


शुकतीर्थ का गंगा स्नान मेला इस बार न केवल श्रद्धा का पर्व बना, बल्कि आस्था और अनुशासन का सुंदर उदाहरण भी पेश किया। गंगा तट से लेकर आश्रमों तक हर ओर भक्ति की धारा बह रही है। हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में यह तीर्थनगरी एक बार फिर अध्यात्म, भक्ति और भारतीय संस्कृति के रंगों में रंग उठी — यही है **शुकतीर्थ की आत्मा, गंगा की गोद में बसे भारत का हृदय!**

 



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